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सरकार चुनने 70 किमी दूर से पहुंच रहे ग्रामीण, कोई पैदल तो कोई मोटरसाइकिल से करके आया सफर

बिगुल
धुर नक्सल प्रभावित सेंड्रा इलाके के ग्रामीण मतदाता मतदान करने एक दिन पहले ही 70 किमी का पैदल व मोटरसाइकल से सफर तय कर अपने मत का प्रयोग करने ब्लॉक मुख्यालय भोपालपटनम में विस्थापित पोलिंग बूथों पर पहुंचे हैं।

नक्सल दहशत के कारण जहां प्रशासन पोलिंग बूथों को 70 किमी दूर ब्लाक मुख्यालय में विस्थापित कर रखा है। उस बिहड़ इलाके के मतदाता अपने मुखिया पर मुहर लगाने लम्बी दूरी तय कर भोपालपटनम पहुंच हैं। दो दशक बाद उन इलाकों में चुनाव के लिए सरपंच और जनपद सदस्य कि प्रतिस्पर्धा हो रही हैं।

प्रत्याशी नामांकन भरकर मैदान में खड़े हैं। इससे पहले वहां से सभी जनप्रतिनिधि निर्विरोध चुनकर आते थे। सबसे बड़ी वजह यह भी होती है कि शासन प्रशासन की कोई भी योजना उस इलाके में नहीं पहुंच पाती है। चुनाव संपन्न कराने उस इलाके के लिए सिर्फ रस्म आदायगी बनकर रह गई है।

पोलिंग बूथों को ब्लॉक मुख्यालय में विस्थापित कर चुनाव की रस्म पूरी कर ली जाति है। कई वर्षो में पहली बार ऐसा हुआ है कि वहां से लोग बढ़-चढ़कर चुनावी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। केरपे, बड़ेकाकलेड, एडापल्ली, सेड्रा के चार पंचायतों के उम्मीदवार मैदान में हैं। इलाके के सरपंच पद के लिए 13 प्रत्याशी हैं। वहीं 22 पंच आवेदन भरकर चुनाव मैदान में खड़े हैं।

सेंड्रा बस्ती के लोग चुनेंगे नेशनल पार्क के सरपंच
2005 में सलवा जुडूम के दौर के बाद नेशनल पार्क इलाके के ग्रामीण बीजापुर, भोपालपटनम में आकर बस गए। तात्कालिक कलेक्टर आर प्रसन्ना ने 2009 में भोपालपटनम के नाकापारा के पास सेड्रा बस्ती को बसाया। वहां पर नेशनल पार्क सेड्रा बड़ेकाकडे और एडापल्ली के सैकड़ो ग्रामीण लोग बसे हुए हैं। यही ग्रामीण उस इलाके के सरपंच को चुनते हैं। क्युकी उन इलाकों के पोलिंग बूथों को ब्लॉक मुख्यालय में विस्थापित किया जाता है।

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