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आइएएस अधिकारी बनी भाजपा प्रत्याशी, राज्य सरकार ने लगाया अड़ंगा, नहीं मिल रही नोटिस पीरियड में छूट, वीआरएस स्वीकार करने का आदेश लटका

बिगुल
चंडीगढ़. भारत में लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज हो चुका है। बीते मंगलवार 7 मई को तीसरे फेज की वोटिंग भी संपन्न हो गई है। इस चुनाव में कई बड़े अधिकारी भी निर्दलीय या किसी दल में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे हैं।

इसी क्रम में भाजपा ने पंजाब की बठिंडा लोकसभा सीट से आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू को अपना उम्मीदवार बनाया है। हालांकि, पंजाब सरकार ने उनके चुनाव लड़ने में बड़ा पेंच फंसा दिया है। दरअसल, परमपाल कौर सिद्धू ने आइएएस के पद से इस्तीफा देते हुए तीन महीने की नोटिस अवधि की शर्त को माफ करने का अनुरोध किया था। हालांकि, पंजाब सरकार ने उनके इस अनुरोध को ठुकरा दिया है।

नोटिस में छूट राज्य सरकार दे सकती है

पंजाब सरकार ने आईएएस अधिकारी परमपाल कौर सिद्धू की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का अनुरोध ठुकरा दिया है और उनसे तुरंत अपना कार्यभार संभालने को कहा है। केंद्र के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने उनका इस्तीफा स्वीकर कर लिया था लेकिन राज्य सरकार ने आईएएस अधिकारी के रूप में उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। राज्य सरकार ने कहा है कि नोटिस की अवधि में छूट केवल राज्य सरकार ही दे सकती है और वह भी तब जब वह लिखित रूप में दर्ज कारणों से संतुष्ट हो।

राज्य सरकार ने लगाया आरोप
राज्य कार्मिक विभाग की ओर से परमपाल कौर सिद्धू को पत्र भेजा गया है। उसमें कहा गया है कि आपने कहा कि आपकी माँ 81 वर्ष की हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, आपके पिता और आपके छोटे भाई दोनों की कुछ वर्ष पहले मृत्यु हो गई है और भारत में आपकी वृद्ध माँ की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, और आपको तुरंत इसकी आवश्यकता है। लेकिन आप बीते कई दिनों से राजनीतिक गतिविधियों में भाग ले रही हैं जो आपके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के आधार को गलत साबित करता है।

काम पर लौटने का निर्देश
पंजाब सरकार ने अपने पत्र में कहा है कि राज्य में आइएएस के लिए 231 पद हैं लेकिन वर्तमान में केवल 192 अधिकारी ही कार्यरत हैं। इस कारण कई अधिकारियों को कई प्रभार दिए गए हैं। इस कारण राज्य सरकार ने अभी भी नियम 16(2) के तहत आवश्यक तीन महीने की नोटिस अवधि को माफ नहीं किया है और वीआरएस को स्वीकार करने के बारे में कोई आदेश भी जारी नहीं किया है। पत्र में सरकार ने कहा है कि सिद्धू को सेवानिवृत्त या सेवा से मुक्त नहीं माना जा सकता है। इसलिए वह तुरंत अपने काम पर वापस लौटें अन्यथा उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।

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