रेल्वे ई-टिकट : दलालों का गैंग सक्रिय, एक टिकट पर 500 से हजार तक वसूल रहे, नियम यह कि पंजीयन के बाद ही बेच सकते हैं टिकट

बिगुल
रायपुर. रेल यात्रा करने से पहले हम टिकट कन्फर्म करने के बाद ही सफर करने का प्रयास करते हैं। इसके यात्री रेलवे स्टेशन पर जाकर टिकट खरीदने लाइन में लगना नहीं चाहता है। इतना ही नहीं ऑनलाइन ही रिजर्वेशन भी करा लेता है। ऑनलाइन ई-टिकट की बिक्री बढ़ने के बाद ई-टिकट बेचने वाली गैंग सक्रिय हो गई है।
यह गैंग लोगों को अवैध रूप से तय कीमत से ज्यादा में टिकट बेच रही थी। जिसे पकड़ने में पुलिस ने बड़ी सफलता प्राप्त की है। रेलवे पुलिस ने रेलवे के आईआरसीटीसी में बगैर पंजीयन कराए चोरी-छिपे कई आईडी बनाकर ई-टिकट बेचने के व्यवसाय में संलिप्त 37 टिकट दलालों को अरेस्ट किया है।
बता दें कि इस समय छत्तीसगढ़ में अधिकतर ट्रेनों में यात्रियों को कन्फर्म टिकट नहीं मिल पा रहे हैं। ऐसे में ई-टिकट दलाल सक्रिय हो गए हैं। यह जमकर मुनाफा कमा रहे हैं। रेलवे के आईआरसीटीसी में बिना पंजीयन कराए चोरी-छिपे अलग-अलग आईडी बना ली। अवैध रूप से ई-टिकट बेचने के व्यवसाय में संलिप्त 37 टिकट दलालों को रेलवे पुलिस ने दबोचा है।
एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों में टिकटों की मांग बढ़ी हुई है। इधर इस डिमांड के बढ़ते ही अवैध रूप से टिकट बेचने वाले दलाल सक्रिय हो गए हैं। इसको लेकर अनाधिकृत टिकट बेचने वाले दलालों पर अंकुश लगाने जोनल मुख्यालय के निर्देश पर रेलवे सुरक्षा बल की टीमों ने एक मई से अब तक रायपुर समेत तीनों रेल मंडल बिलासपुर और नागपुर में विशेष अभियान चलाया था। इसमें छापेमारी कर 37 ई-टिकट दलालों को अरेस्ट किया है, इनसे छापेमारी में 9 लाख 13 हजार 655 रुपए के 589 ई-टिकट जब्त किए गए हैं।
ई-टिकट के दलाल सक्रिय
बता दें कि रायपुर रेलवे स्टेशन के साथ ही तीनों मंडल के प्रमुख रेलवे रिजर्वेशन काउंटर के साथ ही इंटरनेट के माध्यम से टिकटों की कालाबाजारी की जा रही है। हालांकि इसे रोकने रेलवे सुरक्षा बल ने एक्शन लिया है। सतर्कता विभाग की टीम ने शिकायत मिलने के बाद एक्शन लिया है। रेलवे आरक्षण केंद्रों के साथ ट्रेवल एजेंटों के यहां से शिकायत मिलती है। इसके बाद छापेमारी कर इन दलालों पर कार्रवाई की जाती है।
बावजूद इसके टिकटों की कालाबाजारी नहीं रुक पा रही है। शहर के कई स्थानों पर अवैध तरीके से ई-टिकट बेचने का कारोबार चल रहा है। इसके एवज में यात्रियों से निर्धारित रेट से ज्यादा किराया वसूला जाता है। कई बार ये दलाल यात्री से दोगुना ज्यादा राशि ले लेते हैं।
पंजीयन के बाद ही बेच सकते हैं टिकट
रेलवे अधिकारियों ने जानकारी दी कि ई-टिकट बनाने का कारोबार करने के लिए आईआरसीटीसी में पंजीयन होना जरूरी है। जबकि ये दलाल अलग-अलग आईडी से ई-टिकट बनाकर का कारोबार कर रहे हैं। ई-टिकट का कारोबार करने वाले दलाल यात्रियों से 300 से 400 रुपए ज्यादा तक अवैध रूप से टिकट का किराया से ज्यादा लेते हैं। ये यात्रियों की मजबूरियों का फायदा उठाकर कन्फर्म टिकट बेचते हैं।



