उत्तर प्रदेश में भी सातवें और अंतिम चरण की 13 सीटों पर एक जून को वोट पड़ेंगे। आखिरी चरण में पक्ष और विपक्ष के दिग्गज चेहरों की ताकत तो परखी ही जाएगी, दोनों ओर पनपी नई चुनावी दोस्ती का भी इम्तिहान होगा। भारतीय जनता पार्टी सहित NDA के चार घटक दलों के शीर्ष चेहरों की जमीनी परख भी इस चरण में होगी। सातवें चरण में महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मीरजापुर और रॉबर्ट्सगंज सहित 13 लोकसभा सीटों पर चुनाव होंगे। इसमें गाजीपुर और घोसी को छोड़कर बाकी 11 सीटों पर NDA का कब्जा है। इस चरण के चुनाव में वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं, गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रभाव का आकलन होगा। इसके अलावा सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ आई तृणमूल कांग्रेस की जमीन पर पकड़ का अंदाजा भी इस चुनाव में लगने वाला है। भदोही सीट से टीएमसी चुनाव मैदान में गठबंधन के तहत खड़ी है।
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा 11 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 9 पर उसको जीत मिली थी। सहयोगी दल अपना दल ने अपने कोटे की दोनों सीटें जीती थीं। इस बार भाजपा 10 सीटों पर लड़ रही है। 2 सीटों पर अपना दल (S) और एक पर सुभासपा की दावेदारी है। निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद संतकबीरनगर से उम्मीदवार थे, जहां चुनाव हो चुका है, लेकिन सातवें चरण की कई सीटों पर निषाद वोटर काफी संख्या में हैं। इसलिए अपने वोटरों में पैठ के संजय निषाद के दावे भी इस चरण में कसौटी पर कसे जाएंगे। घोसी और गाजीपुर बसपा ने जीती थी। हालांकि, इन दोनों ही सीटों पर इस बार सपा व भाजपा मुख्य मुकाबले में हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इन 13 लोकसभा सीटों के दायरे में आने वाली 65 विधानसभा सीटों में 48 पर NDA को जीत मिली थी। 15 सीटें सपा गठबंधन व 1-1 सीट बसपा व कांग्रेस के खाते में गई थी।
गोरखपुर मंडल : इस बार मुकाबले के आसार
13 सीटों में छह सीटें गोरखपुर, बांसगांव, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया और सलेमपर गोरखपुर मंडल का हिस्सा हैं। गोरखपुर सदर से सीएम योगी आदित्यनाथ विधायक हैं। गोरखपुर दो दशक तक उनका संसदीय क्षेत्र भी रहा है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन के बाद भी गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज में भाजपा की जीत का अंतर 3 लाख से अधिक था। देवरिया में लगभग 2.50 लाख, बांसगांव में 1.53 लाख और सलेमपुर में 1.12 लाख वोटों से जीत मिली थी।
2022 के विधानसभा चुनाव में इन लोकसभा क्षेत्रों में आने वाली 30 सीटों में 27 पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। महज 2 सीटें सपा गठबंधन और एक सीट कांग्र्रेस को मिली थी। इसलिए, भाजपा के मजबूत गढ़ में विपक्ष के लिए बहुत ही मुश्किल लड़ाई है। इन छह सीटों में तीन पर सपा और तीन सीटों बांसगांव, देवरिया व महराजगंज में कांग्रेस लड़ रही है। बांसगांव और देवरिया में अखिलेश यादव व राहुल गांधी ने मंगलवार को साझा रैली भी की थी। महराजगंज में कांग्रेस ने अपने विधायक वीरेंद्र चौधरी को उम्मीदवार बनाया है।सलेमपुर में भाजपा के मौजूदा सांसद रविंद्र कुशवाहा और रमाशंकर राजभर के बीच कड़ा मुकाबला है। कुशीनगर में भाजपा के विजय दुबे के मुकाबले सपा ने भाजपा के ही पूर्व विधायक जन्मेजय सिंह के बेटे अजय कुमार सिंह को उतारकर लड़ाई कठिन बना दी है। सपा से नाता तोड़ने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य भी अपने नए दल राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के टिकट पर कुशीनगर से ही दावेदारी कर रहे हैं। उनका भी जनाधार यह सीट नापेगी।
बनारस के पड़ोस में विपक्ष की मजबूत घेराबंदी
मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के आस-पास की इस चरण की सीटों को सबसे ज्यादा उनके मैजिक की जरूरत है। यहां की 7 सीटों में दो पिछली बार भाजपा हार गई थी और दो सीटों पर जीत का अंतर 16 हजार से कम था। इस बार भी सपा-कांग्रेस गठबंधन ने यहां मजबूत घेराबंदी की है। घोसी में ओम प्रकाश राजभर की इज्जत और ताकत दांव पर लगी है क्योंकि यहां उनके पार्टी के सिंबल पर बेटे अरविंद राजभर चुनाव लड़ रहे हैं। अपने बेटे को जिताने के साथ ओम प्रकाश पर बाकी सीटों पर भी राजभर वोटों को शिफ्ट करवाने की जिम्मेदारी है।
बलिया में भाजपा पिछली बार महज 15 हजार वोटों से आगे निकली थी। इस बार पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे भाजपा के उम्मीदवार हैं और सनातन पांडेय सपा से फिर सामने हैं। मतदान के चार दिन पहले पूर्व मंत्री नारद राय को अपने पाले में कर भाजपा ने गणित और पुख्ता करने की कोशिश की है। गाजीपुर में सपा के टिकट पर उतरे मौजूदा बसपा सांसद अफजाल अंसारी व भाजपा के पारसनाथ राय में कांटे की टक्कर है। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद यहां का चुनाव और चर्चित हो गया है।
चंदौली से पिछली बार महज 13 हजार वोटों से जीतने वाले केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय भी सपा के वीरेंद्र सिंह से कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं। राजा भैया के विरोध के बीच अपना दल की मुखिया अनुप्रिया पटेल के सामने मीरजापुर में हैटट्रिक लगाने व रॉबर्ट्सगंज से अपनी पार्टी की जीत बरकरार रखने की चुनौती है। वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी के सामने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय दावा ठोंक रहे हैं। भाजपा के लिए कम से कम इस सीट पर लड़ाई अंतर बढ़ाने की ही है।
आखिरी चरण का गणित:
13 में 11 सीटें NDA ने जीती थीं 2019 में
2 सीटों पर बसपा को मिली थी जीत
2 सीटें 15 हजार के अंतर से ही जीती थी भाजपा
6 सीटों पर 2 से 4.79 लाख तक था भाजपा की जीत का अंतर
48 विधानसभा सीटें 2022 में भाजपा गठबंधन को मिली थीं
15 विधानसभा सपा गठबंधन के हिस्से में थी आईं