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खतरे में सांसें : अडानी की परसा ईस्ट केते बासेन कोल माइंस के लिए फिर दी जाएगी 20 हजार पेड़ों की बलि! सेकण्ड फेस के लिए की गई पेड़ों की मार्किंग

इन पेड़ों की कटाई के लिए अधिकारियों ने 7 जून की तारीख तय की थी लेकिन इससे पहले अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा कोल माइंस में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बाद पेड़ों की कटाई टल गई है, लेकिन इसके बाद भी पेड़ों की कटाई आयोग को जवाब देने के बाद कभी भी की जा सकती है. स्थानीय ग्रामीण भी पेड़ों की कटाई का अंदेशा जाता रहे हैं वहीं पेड़ों की कटाई के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.

पेड़ों की कटाई की तैयारी शुरू
परसा ईस्ट केते बासेन कोल माइंस परियोजना फेज 2 के लिए छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद पेड़ों की कटाई हुई. इसके बाद अब फिर से 20,000 पेड़ों की कटाई की तैयारी की जा रही है. इसके लिए वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा पेड़ों पर मार्किंग किया जा रहा है जबकि अनुसूचित जनजाति आयोग ने स्थानीय लोगों के द्वारा दिए गए आवेदन पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी किया है कि कोल माइंस परियोजना में यथा स्थिति बनाकर रखा जाए मतलब साफ है कि पेड़ों की मार्किंग का काम भी बंद होना था लेकिन वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा पेड़ों की मार्किंग कराई जा रही है.

ऐसे में माना जा रहा है कि अचानक कभी भी पेड़ों की कटाई शुरू की जा सकती है. इस पूरे मामले में स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि आयोग ने आदेश जारी किया है उसका अगर पालन नहीं किया जाता है तो वह आंदोलन को तेज करेंगे. हसदेव बचाओ आंदोलन से जुड़े आलोक शुक्ल कहते हैं कि अनुसूचित जनजाति आयोग ने कोल माइंस परियोजना में यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश जारी किया है लेकिन मार्किंग की जा रही है, यह गलत है. वे कहते हैं कि सरकारी अधिकारी कर्मचारी आखिर आदेशों का पालन ही कब करते हैं.

दो साल से धरना दे रहे हैं 500 आंदोलनकारी

हसदेव बचाओ आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारी रामलाल करियाम का कहना है कि वन विभाग ने पेड़ों की मार्किंग का काम पूरा कर लिया है, वे कभी भी पेड़ो की कटाई शुरू कर सकते हैं जबकि आसपास गांव के लोग पेड़ों को बचाने के लिए 2 मार्च 2022 से लगातार झोपड़ी बनाकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, कुछ माह पहले उनके धरना स्थल पर आग लगा दिया गया था. रामलाल करियम का आरोप है कि यह काम कोल माइंस के अधिकारियों के इशारे में किया गया था इसके बाद आंदोलनकारियों ने फिर से धरना प्रदर्शन के लिए झोपड़ी बना ली हैं और इस धरना स्थल पर गांव की महिलाएं बच्चे लगातार बैठे रहते हैं. बता दें कि हसदेव क्षेत्र में कोल माइंस के लिए पेड़ों की कटाई करने से पहले आंदोलनकारी लोगों को उनके घरों से पुलिस बल द्वारा अचानक उठा लिया जाता है. इसके बाद पेड़ों की कटाई शुरू की जाती है.

अधिकारियों ने बोलने से किया मना
अधिकारियों को इस बात का डर होता है कि अगर वे आंदोलनकारियों को पेड़ों की कटाई से पहले अपने कब्जे में नहीं रखते हैं तो गांव के लोग और भी प्रखर होकर विरोध करेंगे, अब देखना होगा कि जिन पेड़ों पर मार्किंग की गई है उनकी कटाई कब होती है और आंदोलनकारी कौन सा कदम उठाते हैं. वहीं इस पूरे मामले में सरगुजा डीएफओ तेजस शेखर से पूछा गया तो उन्होंने पेड़ों की कटाई के लिए मार्किंग किए जाने की जानकारी से अभिज्ञता जाहिर की और कहा कि वे पता कर ही इस मामले में कुछ बता पाएंगे लेकिन जब उनसे इसके बाद कई बार संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने फोन कॉल रिसीव नहीं किया.

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