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छत्तीस घाट : पत्रकार डॉ.अनिल द्विवेदी समझा रहे हैं : जब सात देशों के प्रधानमंत्रियों को पोप फ्रांसिस संबोधित कर सकते हैं तो जी-20 शिखर सम्मेलन को शंकराचार्य क्यों नही. पढिए पूरी टिप्पणी.

मेलोदी..मेलोदी..मेलोदी. नही नही, आप इसे मोदी का अपभ्रंश मत समझिए. यह मेलोनी और मोदी का संयुक्त नाम है. इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ एक वीडियो.सेल्फी लेते हुए, जब शटलकॉक सी मुस्कान देते हुए कहती हैं— हैलो, फ्रॉम द मेलोदी टीम! तो बाइडेन, सुनक से लेकर राहुल बाबा के सीने तक में सांप ना लोट रहे होंगे. फिलहाल मेलोनी को इतना समझ लीजिए कि 45 की उम्र और दस साल की राजनीतिक लड़ाई में वह इटली की प्रधानमंत्री बन गई. हम तो जिपखब्त हो गए जनाब. पहले ‘नमस्ते और अब मेलोदी’ वाउ मेलोनी, फन्तास्तिको.

भुँइया नइये. इटली का अधिकृत त्यौहार कौन सा है! आप कहेंगे क्रिसमस. मैं कहता हूं दीवाली. वहां के सीनेट प्रिमाइसेस में 2015 से दीपोत्सव मनाया जाता है. दुनियाभर को बेहतरीन पित्जा खिलाने वाले इटली ने हमारे सनातन धर्म और उसकी सांस्कृतिक विरासत को मान्यता दी है. ये जो अजंता-एलोरा की गुफाएं हैं ना, इटली उनका सालाना रखरखाव का खर्चा देता है, उसे संरक्षित करने को प्रतिबद्ध है! और ताजिया ऐलान.. 2000 साल पुराने भारत-इटली के संबंधों में और गर्मजोशी आएगी.

किम् नु. जी7 में जो लोग मेलोनी को देख रहे हैं, उन्हें पोप फ्रांसिस को भी याद करना चाहिए. बाइबिल कहती है : खुद ईशु मसीह ने पोप को चुना है, पोप यानि वेटिकन सिटी के राजा जिसका स्टेटस Civitatis Vaticanae का है जो अपने देश की प्रधानमंत्री से भी बढ़कर है, जहां खुद का बनाया कानून चलता है, यूरोप का नही. ज्यादा जानना हो तो बाइबिल का मत्ती22 पढ़िए. We make a living by what we get, we make a life by what we give. खैर..जी-7 के समापन की खासियत जानते हैं आप. उसे पोप फ्रांसिस ने की.नोट स्पीकर के तौर पर संबोधित किया. जी-7 के प्रधानमंत्री नतमस्तक होकर उन्हें सुनते रहे. संदेश था : दुनिया में शांति और प्रेम फैलाइए. हालांकि यह नौटंकी के अलावा कुछ नही है. आदमी अपनी नही सुनता तो पोप की क्यों सुनेगा! रूस इंडिया की और चाइना अमरीका के कहे पर कान नही धरता. रूस-यूक्रेन, इजरायल-फिलिस्तीन, इजरायल-हिजबुल्लाह, चीन-ताइवान, अजरबैजान-आर्मेनिया जंग लड़ते रहेंगे, लाखों निहत्थे, निर्दोष लोगों की जान की कीमत पर.

भारत दुनिया का सबसे प्राचीनतम देश. लाखों साल पुराना धर्म सनातन. जीवन शैली हिंदुत्व. और प्राचीनतम वेद यानि ज्ञान देने वाले भारत में शंकराचार्य को वह ओहदा नही मिला जो इटली ने अपने धर्मगुरू पोप फ्रांसिस को दे दिया. वरना जी20 शिखर सम्मेलन, जी7 से कई गुना बड़ा आयोजन था. 125 देशों के 45 लाख लोग लाइव गवाह बने थे. हिंदुस्तानियों ने 4,110 करोड़ खर्चकर मेजबानी की थी दुनिया की. लेकिन हमने धर्म को राजनीति से उपर उठकर माना ही नही. असल सवाल है कि जब पोप फ्रांसिस जी7 को संबोधित कर सकते हैं तो शंकराचार्य जी20 को क्यों नहीं!

वैसे पोप खुद चले आए या फिर मेलोनी ने उन्हें आमंत्रित किया था कि हे इशु मसीह के प्रतिनिधि, आप आइए और दुनिया के सात राष्ट्राध्यक्षों को संबोधित कीजिए ताकि वे महसूसें कि इटली में एक धर्म गुरू देश की प्रधानमंत्री से बढ़कर है. ताकि वे जान सकें कि देश में धर्म गुरू की क्या अहमियत है! ये मान लें कि राजनीति से उपर धर्मोपदेशक हैं. संदेश यही है कि राजनीति कितनी भी ताकवर और विशाल क्यों ना हो जाए, धर्मदण्ड’ का अंकुश बना रहना चाहिए. सात देशों के राष्ट्राध्यक्ष और उनके बीच एक धर्मगुरू पोप फ्रांसिस. पश्यन्ति. ऐसे ही साहस और फैसले किसी धर्म को महान बनाते हैं. वाह मेलोनी..तुम्हारा सीना तो 36 इंच का निकला!

मोदीजी आते-आते मेलोनी और पोप फ्रांसिस को भारत की मेहमानवाजी का​ निमंत्रण दे आए हैं
पधारो म्हारे देश..!

( लेखक दैनिक प्रखर समाचार के संपादक हैं )

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