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रायपुर में कल भी लगेगा दिव्य दरबार, प्रेत दरबार में ‘भूतों’ की जमकर पिटाई करवाएंगे बागेश्वर सरकार

बिगुल
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दही हांडी उत्सव स्थल गुढ़ियारी में जारी हनुमंत कथा के चौथे दिन यानी सात अक्तूबर मंगलवार को भी दिव्य दरबार लगेगा। इसमें लोग अपनी अर्जी लगाकर समस्याओं का निवारण करायेंगे। इसके बाद प्रेत दरबार भी लगेगा। ऐसा माना जाता है कि जिनके ऊपर प्रेत बाधाएं होती हैं। महाराज बालाजी की कृपा से उसे ठीक करते हैं। उनको उपाय भी बताते हैं। सिद्ध भभूति देते हैं, जिससे भक्तों को आराम मिलता है। वहीं बागेश्वर सरकार अदृश्य सेनापति के माध्यम से ‘भूतों’ की जमकर पिटाई भी करवाते हैं।

भक्तों की मानें, तो बाबा बागेश्वर जब चमत्कारी दरबार लगाते हैं, तो वह अपने आप में अद्भुत होता है। बाबा की सारी चमत्कारी शक्तियां उनकी एक छोटी सी गदा यानी मुगदर में होती हैं। हनुमंत कथा में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हमारा मनुष्य तन केवल खाने और सोने के लिए नहीं मिला कुछ करने के लिए मिला है, इस बात का जिसको बोध हो गया वह भी भाग्यशाली है। हम किसी सरकार के सपोर्टक या पोषक नहीं है पर सत्य बोलने वाले है क्योंकि हम साधु है और साधु के लिए सब बराबर है।

छत्तीसगढ़ में सभी पार्टी के लोग सत्ता में रहे पर भैय्या छत्तीसगढ़ का जो काला धब्बा था नक्सलाईट कोई खत्म नहीं कर पाया, पर भगवान ने ऐसी कृपा की कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा जिन्होंने प्रण ले लिया कि भारत की सबसे प्रिय प्रदेशों में महतारी के रुप में जिसे पूजा जाता है वह छत्तीसगढ़ है और छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा काला धब्बा वह है नक्सलवाद और उसे 2026 तक खत्म किया जाएगा और हमको प्रसन्नता भी है कि वह आज कथा में भी आए है। आपने जो प्रण लिया उसको करके भी दिखाया, बड़े-बड़े ईनामी नक्सली ढेर हो गए कितनी अच्छी बात है। पद को पा लेना बड़ी बात नहीं है पद पर बैठ करके उस पद का सदुपयोग करना बहुत बड़ी बात है। इससे छत्तीसगढ़ की जो गति है उस गति को और चार-चांद लेंगे और छत्तीसगढ़ इसी तरह पूरे देश में आगे बढ़ता जाएगा।

जब हम सब में राम बस जाएंगे तो भेद-भाव नहीं होगा, आदमी पड़ोसियों के सुख को देखकर ज्यादा हैरान रहता है। सब में भगवान है, जब आपके अंतर आत्मा में भेद खत्म हो जाएगा तो जो राम हमारे अंदर है वह राम तुम्हारें अंदर भी आ जाएगा। हम लोगों के अंदर पाप क्यों आता है जब दूसरों को दूसरा, अपनो को अपना मारे, दुख अपने पन का होता है। अंदर जलन नहीं धन्यवाद की भावना उत्पन्न होनी चाहिए कि भगवान ने बड़ी कृपा की कि हमारे लड़के की नौकरी लग जाएगी और कम से कम पड़ोसी के लड़कों को ऑफिसर बना दें।

दूसरों को प्रसन्न करना और दूसरों को देखना, यही जीना है
हम लोग रोज चाय पीते हुए अखबार पढ़ते है जिसमें कभी लिखा होता है कि 30 मर गए, हम लोग कहते है कि अखबार वाले लोग झूठी खबर छापते है, 35 मरे होंगे, लाओ जरा बिस्कूट ले आओ। अगर इस बीच किसी अपने का नाम आ जाए तो चाय छूट जाएगी। इससे सिद्ध होता है कि मरने का जितना दुख नहीं होता है उससे ज्यादा अपनो के मरने का दुख होता है कि वह अपना है। अब इस संसार में हम सब को अपना मान लें तो दुख भी रहेगा और सुख भी, दूसरों को दुखी देखकर तुम भी दुखी होगे और दूसरों का सुख देखकर तुम भी खुश रहोगे। अगर ऐसा तुम अपने जीवन में उतार लोगे तो हमें लगेगा की तुम कभी दुखी नहीं रहोगे। जीना क्या है – दूसरों को प्रसन्न करना और दूसरों को देखना, यही जीना है, बोलो सीता राम..।

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