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खदान क्षेत्र में नियमों की अनदेखी: एसईसीएल गेवरा-दीपका में बिना अनुमति के 23 बहुमंजिला टावर, जानें क्या मामला

बिगुल
एसईसीएल गेवरा और दीपका क्षेत्र में प्रबंधन अपने कर्मचारियों के लिए आठ मंजिला टावर बना रहा है। जिसमें पार्किंग भूतल पर अतिरिक्त है। ऐसी कॉलोनी एसईसीएल द्वारा पहली बार बनवाई जा रही है। चौंकाने वाली बात ये है कि शासन द्वारा इससे पहले कोरबा जिला में केवल ग्राउंड पार्किंग +5 मंजिल निर्माण की ही अनुमति खदान क्षेत्र होने का हवाला दे कर दी जाती रही है। बताया गया है कि ऐसे निर्माण में जमीन की विशालता का हवाला देकर फ्लोर एरिया (एफआरए) अनुपात को तय किया गया है। ऐसा ही झोल लेकर बिलासपुर संभाग में बालको द्वारा बनाए जा रहे सबसे ऊंचे रिहायशी भवन के लिए पार्किंग +9 मंजिला टावर की अनुमति दी गई है।

एक एसईसीएल अधिकारी के मुताबिक, सीजीएम कार्यालय के पास शक्ति नगर में 12 टावर का निर्माण तेजी से हो रहा है। प्रत्येक में पार्किंग और आठ मंजिल होगी। हर फ्लोर पर चार-चार बी टाइप फ्लैट होंगे। कुल 373 फ्लैट होंगे। बारहवें टावर में केवल 11 फ्लैट ही होंगे। वहीं दीपका क्षेत्र के प्रगति नगर गेस्ट हाउस के पास 11 टावर बन रहे है। जिसमें ए टाइप के फ्लैट वाले छह टावर है जो कि 6, 7 और 8 मंजिल के होंगे। बी टाइप के फ्लैट वाले 4 टावर 7 और 8 मंजिल के होंगे। वहीं एक टावर डी टाइप फ्लैट का 6 मंजिला होगा। यू यहां कुल 313 फ्लैट 11 टावर में बनेंगे।

एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान के मुहाने से एक डेढ़ किलोमीटर के फासले पर इन टावरों का निर्माण हो रहा है। यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है। इसका निर्माण सीएमपीडीआई की देखरेख में होना बताया गया है।

बताया जा रहा है कि निर्माण की अनुमति के संबंध में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग कोरबा के डिप्टी डायरेक्टर गणेश राम तूरकाने से पूछा गया। तब उन्होंने कहा कि वे वर्जन देने के लिए अधिकृत नहीं है। आप इस संबंध में रायपुर डायरेक्टर से जानकारी ले लीजिए। यूं उन्होंने तो कोई जानकारी नहीं दी किन्तु हमारे सूत्रों ने बताया कि यहां कोरबा के किसी भी संबंधित कार्यालय से कोई अनुमति नहीं ली गई है, न ही इस संबंध में कोई आवेदन ही प्राप्त नहीं हुआ है।

नियमानुसार 33 मीटर तक भवन निर्माण लो राइज बिल्डिंग कैटेगरी में आता है। जिसका निर्माण अनुमति संबंधित जिले के टाउन एंड कंट्री विभाग से मिलती है। जिसके लिए डिप्टी डायरेक्टर अधिकृत है। वहीं उससे अधिक ऊंचाई के भवन निर्माण के लिए राज्य कार्यालय को अधिकार है। किन्तु इसके लिए भी कलेक्टर की अध्यक्षता में कमिटी जांच कर रिपोर्ट देती है। जिसमें संबंधित नगरीय निकाय, राजस्व विभाग, अग्निशमन विभाग सहित अन्य विभाग के सदस्य होते है। यहां बन रहे ये मल्टी स्टोरी टावर लो राइज केटेगरी में आते हैं। मगर कोरबा स्थित विभागीय कार्यालय से अनुमति तो दूर उस हेतु आवेदन तक नहीं दिया गया है। जाहिर है निजी हो या शासकीय सार्वजनिक उपक्रम उनके लिए तमाम नियम कानून की अनदेखी की जा रही है।

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