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बालोद का हर्बल गुलाल, राजधानी तक डिमांड और आत्मनिर्भर बनी महिलाएं

बिगुल
बालोद जिले के ग्राम धनोरा में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाएं हर्बल गुलाल का निर्माण कर रही है। उनके इस गुलाल की डिमांड राजधानी में बढ़ती जा रही है। अब तक 200 किलो गुलाल भेज चुके हैं। फल-सब्जियों और फूलों से यहां पर प्राकृतिक गुलाल तैयार किया जा रहा है। जिसमें पलाश के फूल, पालक की सब्जी और चुकंदर शामिल है। समूह की महिलाएं अन्य लोगों को भी हर्बल गुलाल को उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके साथ ही निर्मित किए जा रहे हर्बल गुलाल के बेहतर पैकेजिंग एवं व्यापार पर भी ध्यान दिया जा रहा है इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।

बालोद जिले के कई समूह ऐसे गुलाल तैयार कर रहे हैं, लेकिन धनोरा की इन महिलाओं ने कमाल कर दिया। गुलाल तैयार करने की इनकी विधि में किसी केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता। महिला यास्मीन खान ने बताया कि प्रति किलो यहां हम 40 रुपए तक की आय अर्जित कर लेते हैं। रोजी मजदूरी धूप में करने से अच्छा है यहां सुकून से हम योजना से जुड़कर कार्य कर पा रहे हैं और इस कार्य को लेकर काफी गौरवान्वित महसूस करते हैं। क्योंकि हम लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा कर पा रहे हैं।

राजधानी से प्राप्त हुआ ऑर्डर
सहायक विकास विस्तार अधिकारी लक्ष्मी ठाकुर ने बताया कि समूहों की ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित हर्बल गुलाल का रायपुर के व्यापारी से 200 किलोग्राम गुलाल का आर्डर प्राप्त हुआ है वहां भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि हर्बल गुलाल का मूल्य 100 से 120 रुपये प्रति किलो रखा गया है। टीम मेंबर यारूनी साहू ने बताया कि यहां पर महिलाओं का ये संगठन है. जो समय समय पर इस तरह के काम करते हैं और गुलाल में काफी अच्छा अनुभव रहा है। हमने जनपद में स्टॉल लगाया है और इस त्योहारी सीजन 500 किलो से अधिक गुलाल बेचने का लक्ष्य रख आगे बढ़ रहे हैं।

जिले में 21 क्विंटल गुलाल तैयार
होली के अवसर पर हर्बल गुलाल (रसायन मुक्त) का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें नीम, पालक, गैन्दा, कनेर, पलास एवं चुकन्दर जैसे फुल, पत्तियों एवं फलों के रसो का प्रयोग कर यह हर्बल गुलाल तैयार किया गया। हर्बल गुलाल के प्रयोग से त्वचा की सुरक्षा एवं पर्यावरण में होने वाले वायु, पानी के प्रदूषण को कम करने एवं साथ ही साथ स्व-सहायता समूहों की ग्रामीण महिलाओं के स्वरोजगार को बढ़ाने हेतु हर्बल गुलाल के निर्माण एवं इसके उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा हैं। अब तक जिले में कुल 21 क्विंटल हर्बल गुलाल का निर्माण कर लिया गया हैं।

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