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धर्मांतरण : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने क्यों दिखाए सख्त तेवर, सीएम के इलाके जशपुर में हुआ था कभी पत्थरगड़ी आंदोलन, जानिए पूरा विश्लेषण

मोदी सरकार की स्टाइल ऑफ पॉलिटिक्स यही रही है। वह चौकाती है। कुछ करने से पहले सामाजिक राय बनाती है। सामाजिक राय के जरिए भांपती है, फिर वह कायदे लेकर आती है। अब जब धर्मांतरण पर बात हो रही है तो इसे भी इससे जोड़कर देखना चाहिए।

देश की अखंडता और अखंड भारत की राह में जो बड़े रोड़े हैं, उनमें धर्मांतरण सबसे बड़ा है। भारत के बड़े भूभाग पर जनजातिय समाज की संस्कृति बसी है। फिर पह चाहे पूर्वाेत्तर हो या हर प्रदेश का एक बड़ा भूभाग। छत्तीसगढ़ में आबादी के मामले में भले ही जनजातिय 32 फीसद हों, लेकिन भूभाग के मामले में जनजातिय समाज के वर्चस्व वाला हिस्सा 63 फीसद तक है। धर्मांतरण के मामले सबसे ज्यादा जनजातिय समाज में ही हो रहे हैं। ऐसे में भले ही धर्मांतरित लोगों की संख्या कम रहे, लेकिन अधिक भूभाग होने के चलते संसाधन, संपत्ति ज्यादा रहेगी। चूंकि धर्मांतरण सिर्फ किसी जनजातिय समाज की मान्यताओं को बदलना भर नहीं है, यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती है। इसे बेहतर समझने के लिए जशपुर पत्थरगड़ी आंदोलन को याद कीजिए।

छत्तीसगढ़ की रमन सरकार के आखिरी दौर में जशपुर में एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया था। इसमें जशपुर के अनेक गांवों में पत्थर गाड़े गए। इनमें लिखा था, गांवों की ग्राम पंचायतों पर भारत की लोकसभा-विधानसभा के कानून लागू नहीं होते। इस घटना में ओएनजीसी का वरिष्ठ पदाधिकारी जोसेफ, प्रमोटी पूर्व आईएएस एचपी किंडो जैसे 3 लोग संलिप्त पाए गए थे। समय रहते डॉ. रमन सरकार ने इस पर तत्परता से काम किया और तबके यहां एसपी रहे प्रशांत ठाकुर ने इसे सावधानी से हैंडल किया। चूंकि इस गतिविधि के जरिए पूरी तरह से देश से अलग इन गांवों को स्वतंत्र देश बताया जा रहा था। इस दौरान कुछ हत्याएं भी हुई थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इसी क्षेत्र से आते हैं। जहां पत्थर गाड़े गए, जहां हत्याएं हुईं वहां गांव के गांव धर्मांतरित थे।

धर्मांतरण सिर्फ मान्यताओं का अगर मामला होता तो समस्या थी ही किसे? किंतु ऐसा है नहीं। यह देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा है। जैसा कि पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हुआ इसलिए इसकी हैंडलिंग भी वैसी ही होनी चाहिए।

धर्मांतरण पर किसी मुख्यमंत्री का इस तरह से सक्रिय होकर बयान देना मायने रखता है। प्रदेश में पहली बार धर्मांतरण को देश की आंतरिक सुरक्षा से जोड़कर खतरे के रूप में माना गया। पहली बार कोई मुख्यमंत्री इतनी मुखरता से इस पर बोल रहे हैं। पहली बार मुकम्मल तौर पर इसे पकड़ा जा रहा है। यह ईसाई, हिंदू, मुस्लिम मान्यताओं का भर खेल नहीं है, बल्कि बाहरी ताकतों द्वारा दीर्घकालिक रूप से आंतरिक एकता को बिखराने का षडयंत्र भी है। सीएम बोल रहे हैं, संभव है केंद्र या राज्य इस पर कोई बड़ा कानून ला रहे हों, जिसके लिए आम जनमानस के मन को भांपा जा रहा है।

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