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फसल चक्र परिवर्तन अजीत जोगी की देन थी : आलोक दुबे

बिगुल
रायपुर. चीकू का पेड़ और छतीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की फोटो को देखकर आप चौकिये मत कि चीकू के पेड़ से अजीत जोगी जी का क्या ताल्लुक? आज सिक्के के दूसरे पहलू की बात. अजीत जोगी जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होने फसल चक्र की अवधारणा को लागू करने का निर्णय लिया

पर्यावरणविद आलोक दुबे ने बताया कि फसल चक्र परिवर्तन के पीछे छतीसगढ के किसानो का आर्थिक विकास और गाॅव का विकास मुख्य उददेश्य होता है। छत्तीसगढ़ के किसान सालो से पारम्परिक खेती धान की करते आ रहे हैं और 70 प्रतिशत किसान धान के खेती मे मानसूनी वर्षा और नहर, नालों पर निर्भर रहते हैं और धान की खेती का समय 6 महीने और 6 महीने किसान खाली बैठे रहते है। जोगी जी ने फसल चक्र परिवर्तन के तहत छत्तीसगढ़ की जलवायु गन्ने, चाय, हल्दी, आम और चीकू और भी क्ई प्रकार फल दार पौधे के लिये उपयुक्त, जहाॅ कम पानी मे उतापादन किया जा सके।

ये सभी फसले केश क्राफट याने तुरतं नगद और आमदानी ज्यादा। इसके पीछे का गणित भी कि धान की फसल में पानी ज्यादा लगता, वो भी बचे और दोहन कम हो, और साल भर फसल होने के कारण छतीसगढ से पलयान कम हो। हमारे छत्तीसगढ़ मे धान की फसल के बाद मजदूरों का पलायन हो जाता है क्योकि गाॅव मे कोई काम नही रहता।

ये अवधारणा कुछ जगह लागू भी हुई, पर उनके कार्यकाल के समाप्त के बाद ठंडे बस्ते में। जाते जाते अजीत जोगी के फसल चक्र परिवर्तन को बाहर के गुजरती, हरियाणा और पंजाब के किसान समझ गये। यहाॅ के लोगो ने छतीसगढ में जमीन खरीदी और विभिन्न प्रकार की फसल का उत्पादन किया। आमदनी लाखों में और यहाॅ के किसान अपनी ही जमीन में मजदूरी करने लगे। जाते जाते रायपुर मे चीकू का उत्पादन सबसे ज्यादा राधेश्याम भवन विंध्याचरण जी के फार्म हाऊस मे सबसे ज्यादा होता था जो रायपुर के मार्केट मे भी आता था.

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