खुलासा : 5 करोड़ की स्काई लिफट खरीदी में बड़ा खेला, राज्यपाल से शिकायत, हर वार्ड के लिए खरीदी गई तीन स्काई लिफ्ट, अब सचिव करेंगे जांच
बिगुल
रायगढ़. 15 वार्ड के नगर पंचायत में यदि 46 नग स्काई लिफ्ट मशीनों की खरीदी हुई है तो स्वमेव शंका के घेरे में आ जाता है. यह अनोखा कारनामा रायगढ़ जिले के नगर पंचायत पुसौर में हुआ है. इन मशीनों की दो कंपनी से खरीदी हुई और उनको 5 करोड़ 85 लाख 13 हजार 318 रुपए का भुगतान किया गया.
इसी तरह एक ही कंपनी से जिले के घरघोड़ा और एक अन्य नगर पंचायत में भी खरीदी हुई है. घरघोड़ा में 15 नग और एक अन्य नगर पंचायत में 25 नग स्काई लिफ्ट की खरीदी हुई है. इसकी शिकायत बीते 20 नवंबर को सीधे राज्यपाल से की गई थी. इसके बाद राज्यपाल के अवर सचिव ने नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव को जांच करने का आदेश दिया है.
यह खरीदी बीते 2018, 2020 और 2021 में की गई है. खास बात यह है कि प्रदेश में सैकड़ों डीलर ऐसे हैं जो इस मशीन की सप्लाई करते हैं और कीमत भी काफी कम है. इसके बाद भी एक ही कंपनी वंदना एग्रो से की गई खरीदी को लेकर दर्जनों सवाल खड़े होने लगा है. दिलचस्प बात तो यह है कि जहां जितनी मशीनों की जरुरत है उससे तीन गुना ज्यादा खरीदी की गई है. ऐसे में पूरी खरीदी सवालों के घेरे में आ गई है.
इसकी शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता ने राज्यपाल से की थी. इसके बाद बीते 8 दिसंबर को राज्यपाल के अवर सचिव ने सचिव नगरीय प्रशासन विभाग को पत्र लिखा है और जांच करने का निर्देश दिया है. इस पर किस तरह की कार्रवाई की गई इसकी जानकारी राज्यपाल को भी देना होगा.
क्या काम आती है मशीन
शहर के स्ट्रीट लाइट को सुधारने के लिए इस मशीन का उपयोग किया जाता है. इसके सप्लायर पूरे प्रदेश भर में फैले हुए हैं, लेकिन एक ही कंपनी वंदना एग्रो से इसकी खरीदी की गई. पुसौर नगर पंचायत में जिन दो कंपनियों से खरीदी गई है उसमें रजनी इंजीनियरिंग से 12 नग और वंदना एग्रो से 34 मशीनें खरीदी की गई है.
एक मशीन की कीमत 15 लाख के आसपास
जिन मशीनों की खरीदी की गई है उसकी कीमत लगभग 15 लाख के आसपास है. हालांकि यह बाजार में 4-5 लाख में मिल जाती है. वास्तविकता क्या है इसकी जांच के बाद ही पता चलेगा. चूंकि यह खरीदी पूरी तरह से सवालों के घेरे में है, क्योंकि एक-दो मशीनें तो समझ में आती है, लेकिन एक ही निकाय के लिए 15-15 मशीनें खरीदी की गई है. यही वजह है कि जांच के लिए राज्यपाल के अवर सचिव की ओर से नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव को पत्र लिखा गया है.
खुलासा : 5 करोड़ की स्काई लिफट खरीदी में बड़ा खेला, राज्यपाल से शिकायत, हर वार्ड के लिए खरीदी गई तीन स्काई लिफ्ट, अब सचिव करेंगे जांच
बिगुल
रायगढ़. 15 वार्ड के नगर पंचायत में यदि 46 नग स्काई लिफ्ट मशीनों की खरीदी हुई है तो स्वमेव शंका के घेरे में आ जाता है. यह अनोखा कारनामा रायगढ़ जिले के नगर पंचायत पुसौर में हुआ है. इन मशीनों की दो कंपनी से खरीदी हुई और उनको 5 करोड़ 85 लाख 13 हजार 318 रुपए का भुगतान किया गया.
इसी तरह एक ही कंपनी से जिले के घरघोड़ा और एक अन्य नगर पंचायत में भी खरीदी हुई है. घरघोड़ा में 15 नग और एक अन्य नगर पंचायत में 25 नग स्काई लिफ्ट की खरीदी हुई है. इसकी शिकायत बीते 20 नवंबर को सीधे राज्यपाल से की गई थी. इसके बाद राज्यपाल के अवर सचिव ने नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव को जांच करने का आदेश दिया है.
यह खरीदी बीते 2018, 2020 और 2021 में की गई है. खास बात यह है कि प्रदेश में सैकड़ों डीलर ऐसे हैं जो इस मशीन की सप्लाई करते हैं और कीमत भी काफी कम है. इसके बाद भी एक ही कंपनी वंदना एग्रो से की गई खरीदी को लेकर दर्जनों सवाल खड़े होने लगा है. दिलचस्प बात तो यह है कि जहां जितनी मशीनों की जरुरत है उससे तीन गुना ज्यादा खरीदी की गई है. ऐसे में पूरी खरीदी सवालों के घेरे में आ गई है.
इसकी शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता ने राज्यपाल से की थी. इसके बाद बीते 8 दिसंबर को राज्यपाल के अवर सचिव ने सचिव नगरीय प्रशासन विभाग को पत्र लिखा है और जांच करने का निर्देश दिया है. इस पर किस तरह की कार्रवाई की गई इसकी जानकारी राज्यपाल को भी देना होगा.
क्या काम आती है मशीन
शहर के स्ट्रीट लाइट को सुधारने के लिए इस मशीन का उपयोग किया जाता है. इसके सप्लायर पूरे प्रदेश भर में फैले हुए हैं, लेकिन एक ही कंपनी वंदना एग्रो से इसकी खरीदी की गई. पुसौर नगर पंचायत में जिन दो कंपनियों से खरीदी गई है उसमें रजनी इंजीनियरिंग से 12 नग और वंदना एग्रो से 34 मशीनें खरीदी की गई है.
एक मशीन की कीमत 15 लाख के आसपास
जिन मशीनों की खरीदी की गई है उसकी कीमत लगभग 15 लाख के आसपास है. हालांकि यह बाजार में 4-5 लाख में मिल जाती है. वास्तविकता क्या है इसकी जांच के बाद ही पता चलेगा. चूंकि यह खरीदी पूरी तरह से सवालों के घेरे में है, क्योंकि एक-दो मशीनें तो समझ में आती है, लेकिन एक ही निकाय के लिए 15-15 मशीनें खरीदी की गई है. यही वजह है कि जांच के लिए राज्यपाल के अवर सचिव की ओर से नगरीय प्रशासन विभाग के सचिव को पत्र लिखा गया है.