बिजली : राज्य में फयूज हुई बिजली, सरकार को करना पड़ा दो राज्यों से कॉन्ट्रैक्ट, गर्मी आते ही बढ़ गई बिजली की खपत

बिगुल
रायपुर. छत्तीसगढ़ में गर्मी शुरू होते ही बिजली की खपत बढ़ गई है. इस बार यह खपत फरवरी माह से ही लगातार बढ़ रही है. फरवरी में एक दिन ऐसा भी आया जब 5800 मेगावाट बिजली की खपत दर्ज की गई. ऐसा खास कर सुबह करीब साढ़े 6 बजे से 9 बजे के बीच हुआ था. मगर अब यह खपत 6100 मेगावाट बिजली तक पहुंच रही है.
छत्तीसगढ़ में 2910 मेगावाट बिजली के उत्पादन क्षमता है. जबकि, यहां 2700 मेगावाट बिजली का कुल उत्पादन हो पाता है. विद्युत वितरण कंपनी के एमडी मनोज खरे ने बताया कि छत्तीसगढ़ में बिजली की खपत लगातार बढ़ रही है. यह खपत 6000 मेगावाट बिजली के पार जा चुकी है.
उन्होंने बताया कि राज्य में बिजली की आपूर्ति करने के लिए अब पंजाब और राजस्थान राज्यों से अनुबंध हुआ है. इसके अलावा एक बैकिंग सिस्टम भी बनाया गया है. उन्होंने बताया कि दोनों राज्यों के बीच यह अनुबंध हुआ है कि जब हमें जरूरत होगी तो उनसे बिजली लेंगे, जब उन्हें जरूरत होगी तो हम बिजली देंगे. विद्युत वितरण कंपनियां राज्य की बिजली पर लगातार नजर बनाए हुए है.
सेंट्रल सेक्टर से मिलती है 3000 मेगावाट बिजली
बता दें, छत्तीसगढ़ को सेंट्रल सेक्टर से 3000 मेगावाट बिजली मिलती है. सेंट्रल सेक्टर से मिलने वाली बिजली की दर निश्चित है. इसकी न्यूनतम दर निर्धारित है. जरूरत के मुताबिक सरकार 80 मेगावाट बिजली निजी सेक्टर से भी लेती है. बता दें, छत्तीसगढ़ वेस्ट रीजन जोन में आता है. इस रीजन में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात राज्य आते हैं. जब भी बिजली की खपत ज्यादा होती है या मांग ज्यादा होती है तो पावर शेयरिंग के हिसाब से ही राज्यों को बिजली मिलती है. ये बिजली ऑटो मीटर से ऑपरेट होती है. विद्युत अधिनियम के तहत बिजली अनुबंध के अनुसार ली जाती है. इसकी दरें बिजली नियामक आयोग तय करता है.
राज्य में इतने हैं बिजली उपभोक्ता
पूरे देश में सवा चार लाख मेगावाट विद्युत उत्पादन की क्षमता है. पिक डिमांड सवा दो लाख मेगावाट की है. इसलिए खपत बढ़ती जा रही है. पूरे देश में 33 स्टेट सेक्टर पावर जनरेशन की कंपनिया हैं. इनमें छत्तीसगढ़ पहले और दूसरे नम्बर पर रहता है. छत्तीसगढ़ में औद्योगिक खपत भी लगाता बढ़ रही है. राज्य में 61 लाख से करीब विद्युत उपभोक्ता हैं.