फैक्ट्री ब्लास्ट : सात के मरने की पुष्टि, 8 अभी भी लापता, परिजनों ने दिया धरना, फैक्ट्री का नक्सली कनेक्शन भी निकला
बिगुल
रायपुर. 30 घंटे से ज्यादा हो चुके, पर बेमेतरा की स्पेशल ब्लास्ट लिमिटेड फैक्ट्री में ब्लास्ट के दौरान यूनिट में रहने वाले 8 मजदूर अब भी लापता हैं. कई मजदूरों के शव के टुकड़े या तो मलबे में दबे पड़े हैं या फिर मलबे में दिखाई दे रहे हैं. पूरा मलबा साफ होने के बाद ही स्थिति साफ होगी. फिलहाल आठ मजदूर लापता हैं जिनके लिए परिजनों ने धरना दे दिया है. उनका दावा है कि ये सभी फैक्ट्री में ही काम करने आए थे. प्रशासन इसकी जांच कर रहा है.
दूसरी ओर बारूद फैक्ट्री का नक्सली कनेक्शन भी बाहर निकलकर आया है. सूत्रों के मुताबिक पूर्व प्रबंधक एस एन सिंह और उनकी टीम ने इसीलिए इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उन्हें डर था कि फैक्ट्री की ओर से नक्सलियों को बारूद सप्लाय होता था. हालांकि इसके बीच दलालों की भूमिका ही सर्वोपरि थी लेकिन काफी सारा भुगतान उनके मार्फत होता था. यह बात जैसे ही पूर्व प्रबंधक सिंह को पता चली, उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. अगर ऐसा है तो यह सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है.
एक अन्य घटनाक्रम में फैक्ट्री के बाहर यूनिट में काम करने वाले कर्मियों के परिजन धरने पर बैठ गए हैं. वह लगातार एसपी, कलेक्टर और नेताओं से ये ही पूछ रहे हैं कि उनका बेटा-पिता भाई या चाचा कहां हैं. आठ लोग लापता बताए जाते हैं. परिजनों का दावा है कि ये सभी फैक्ट्री में ही काम करने आए थे. उन्होंने मुआवजा की भी मांग की है नतीजन पुलिस प्रशासन ने फैक्ट्री प्रबंधन को तलब किया है. बता दें कि जिस यूनिट में यह हादसा हुआ वहां लगभग 700 से 800 लोग काम करते थे. हादसे के शिकार हुए लोग सुबह के शिफ्ट में ड्यूटी करने गए हुए थे.
घटना के बाद SDRF और NDRF की टीम रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है. बेमेतरा के एसपी रामकृष्ण साहू और कलेक्टर रणवीर शर्मा मौके पर बने हुए हैं. वहीं हादसे के बाद प्रदेश के उप मुख्यमंत्री अरुण साव और साजा विधायक ईश्वर साहू भी ब्लास्ट फैक्टरी पहुंचकर स्थिति का जायजा लिए थे. प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने घटना की मजेष्ट्रीयल जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही उन्होंने मृतक के परिजन को 5 लाख रुपए देने और घायलों को 50-50 हजार रुपए देने का ऐलान किया.
एक्सपर्ट्स की माने तो फैक्ट्री में बनने वाली बारूद टेट्रानाइट्रेट (पीईटीएन) हाईली एक्सप्लोसिव है. ऐसे विस्फोटकों से शरीर के चीथड़े उड़ने में 0.10 सेकेंड से भी कम का समय लगता है. फैक्ट्री में एडवांस्ड विस्फोटक बनाया जा रहा था. इसका उपयोग ब्लास्टिंग कैंप और अन्य विस्फोटक उपकरणों के निर्माण में किया जाता है. इसे माइंस 20 डिग्री में भी कम तापमान में रखा जाता है. अधिक तापमान में यह फट जाता है. धमाके की वजह शायद इस तापमान को मेंटेन ना कर पाना भी हो सकती है.
बता दें कि जिस फैक्ट्री में यह हादसा हुआ, इस फैक्ट्री को वर्ष 2022 में बंद कर दिया गया था. प्रशासन में फैक्ट्री में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं पाया था. कुछ ही महीने बाद फैक्ट्री को फिर से शुरू कर दिया गया. लेकिन सुरक्षा के इंतजाम में कोई सुधार नहीं पाया गया. स्थानीय ग्रामीणों ने तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी और फैक्ट्री प्रबंधन के बीच सांठगाठ का आरोप लगाते हुए बिना सुरक्षा मानक के फैक्ट्री संचालक की अनुमति दिए जाने का आरोप लगाया.