छह सप्ताह के अंदर करें ग्रेच्युटी भुगतान : हाईकोर्ट, सेवानिवृत्त शिक्षकों को दी राहत, निजी शिक्षण संस्थानों को दिया आदेश
बिगुल
रायपुर. निजी स्कूलों से सेवानिवृत्त शिक्षकों को ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए राज्य सरकार को उत्तरदायी ठहराने का आदेश पलटते हुए हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने शासन की सभी अपील स्वीकार करते हुए निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा पेश सभी याचिकाएं खारिज कर दी है.
कोर्ट ने निजी शिक्षण संस्थानों को सेवानिवृत्त शिक्षकों का ग्रेच्युटी का 6 सप्ताह के अंदर भुगतान करने का आदेश दिया है. निजी स्कूलों से सेवानिवृत्त शिक्षकों को ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिये निजी शिक्षण संस्थानों ने राज्य सरकार की जवाबदारी बताते हुए अलग अलग याचिकएं हाईकोर्ट में पेश की थी. इन सबने अपने रिटायर्ड टीचर्स के लिये स्वयं को ग्रेच्युटी भुगतान से अलग रखने की वकालत की थी.
एकलपीठ ने इसे स्वीकार कर 6 मार्च 2020 को जारी आदेश में शासन को ही इसका भुगतान करने उत्तरदायी बताया था. इसके खिलाफ राज्य शासन ने डीबी में अपील की. इसमें कहा गया कि शैक्षणिक संस्थाएं छत्तीसगढ़ सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1973 के तहत पंजीकृत हैं और छत्तीसगढ़ अशासकीय शिक्षण संस्थान (अनुदान का प्रावधान) अधिनियम, 1978 के प्रावधानों के अनुसार राज्य सरकार से शत-प्रतिशत सहायता अनुदान प्राप्त कर रहे हैं.
सरकार ने तर्क में कहा कि संसद में भी संशोधन किया गया है। संसद द्वारा ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2009 में संशोधन किया गया. इसे 16 सितंबर, 2019 से लागू किया गया. परिणामस्वरूप शैक्षणिक संस्थानों को ग्रेच्युटी का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. जस्टिस संजय के अग्रवाल व जस्टिस संजय जायसवाल की डिविजन बेंच ने सभी रिट अपीलें स्वीकार कर एकल पीठ द्वारा पारित आक्षेपित आदेश 6.3.2020 को रद्द कर दिया. साथ ही निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दायर सभी रिट याचिकाएँ भी खारिज कर दी. निजी शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश दिया गया है कि वे 3.4.1997 के बाद 31.3.2013 तक सेवानिवृत्त शिक्षकों,निजी उत्तरदाताओं को ग्रेच्युटी की राशि का भुगतान 1972 के अधिनियम के तहत छह सप्ताह की अवधि के भीतर करें.