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हाईकोर्ट ने आईटीआई के ट्रेनिंग अधिकारियों की नियुक्ति को माना सही, सरकार की सभी अपील की खारिज

बिगुल
बिलासपुर. आईटीआई के ट्रेनिंग अफसरों को हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच से भी राहत मिली है. एकल पीठ ने उनकी नियुक्ति को उचित बताया था. इस मामले में राज्य शासन द्वारा प्रस्तुत सभी अपीलों को डिवीजन बेंच ने खारिज कर सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराया ह

आईटीआई के ट्रेनिंग अधिकारी दुर्गेश कुमारी , महेश , टिकेन्द्र वर्मा, हेमेश्वरी , शालिनी समेत अन्य को संयुक्त निदेशक, रोजगार और प्रशिक्षण ने 10 जनवरी 2013 के आदेश से प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर नियुक्त किया था. दो साल की सेवा सफलतापूर्वक पूरी करने के बाद उनको स्थायी कर दिया गया. निदेशक तकनीकी, शिक्षा एवं रोजगार ने 6 अक्टूबर 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी कर कहा था कि 10 जनवरी 2013 का आदेश छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियाँ, अनुसूचित जातियाँ और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) नियम 1998 के प्रावधानों के अनुसार नहीं था.

सरकार की सभी अपील की खारिज

इसलिए, धारा 14 के आधार पर नियुक्ति शून्य कर उनको पद से हटा दिया गया. कर्मचारियों ने नियुक्तियों को निरस्त करने को हाई कोर्ट में चुनौती दी. सिंगल बेंच ने सुनवाई के बाद याचिकाओं को स्वीकार कर नियुक्ति को उचित बताया। इसके खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट में अपील की. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रजनी दुबे की डीबी में सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर याचिकाकर्ताओं ने 8 वर्ष से अधिक पूरे कर लिए हैं। उनकी सेवाओं को केवल कारण बताओ नोटिस के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता. डीबी ने 6 अक्टूबर 2021 को कारण बताओ नोटिस को रद्द करते हुए सिंगल बेंच द्वारा पारित आदेश को बिना किसी हस्तक्षेप के न्यायसंगत और उचित बताते हुए शासन की सभी रिट अपीलें खारिज कर दी.

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