अवैध डामर प्लांट : हजारों जिंदगियां हो रही हैं बीमारी का शिकार, रात्रि संचालन करने की अनुमति किसने दी

बिगुल
बस्तर. सुकमा में अवैध रूप से सरकारी भूमि पर संचालित जिला मुख्यालय स्थित हॉट मिक्स डामर प्लांट विवादों में है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह जमीन सरकारी जो राजस्व के लिए आरक्षित की गई थी, जिसे डामर प्लांट सुकमा निवासी ठेकेदार को बिना लीज के दिया गया और उस पर डामर प्लांट डाला गया.
पिछले सात साल से अधिक समय से सुकमा जिला मुख्यालय स्थित सर्किट हाउस के सामने अवैध डामर प्लांट का संचालन किया जा रहा है. डामर प्लांट से निकलने वाले धुंए से लोग बहुत परेशान है.सूत्रों के मुताबिक यह जमीन राजस्व विभाग की है, जिसमें ठेकेदार ने अपना प्लांट लगाया है. कई बार स्थानीय लोगों ने उक्त प्लांट के खिलाफ प्रशासन के अफसरों से शिकायत भी किया,लेकिन प्रशासन की कार्यशैली ऐसी बनी हुई कि उन्हें आम जनता को होने वाली परेशानी से कोई मतलब नहीं है.
जबकि डामर प्लांट एनजीटी के नियमों के खिलाफ है. प्लांट से उड़ने वाले धुएं से आसपास काली धुंध बन रही है. इससे लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही है. प्लांट से उठ रहे धुएं के चलते डस्ट आकर पानी व खाना बर्तन कपड़ो पर काला किट जम जाता है. इस प्लांट के काले धुएं से नेशनल हाईवे सड़क पर चलने वाले लोगों को आंख जलन की शिकायत आ रहीं हैं और इसकी बदबू कोतवाली पुलिस थाना तक जाती हैं.
पास में संचालित होता है बच्चों का स्कूल
एनजीटी नियमों में स्कूल, अस्पताल और रिहायशी इलाकों से करीब 3 से 4 किमी दूर डामर, क्रेशर और अन्य प्रदूषित यंत्रों का संचालन किया जाने का प्रावधान है लेकिन प्लांट संचालक विनोद सिंह राठौर पर किसी तरह के नियम लागू नहीं होते हैं. इसलिए इतने साल पहले लीज खत्म होने के बाद भी प्रशासन द्वारा प्लांट संचालन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. प्लांट के पास में ही प्राइवेट स्कूल संचालित हैं. यहां पढ़ने वाले बच्चों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है. जहरीले धुएं का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ता है.
रात में कैसे संचालित होता है डामर प्लांट
अब अफसरों की बात क्या करें उन्होंने तो इस डामर प्लांट चलाने की अनुमति रात के समय दी. कहने का तात्पर्य हैं की शायद इस काले ज़हरीले धूएं का असर रात को कम होता हों. आला अधिकारी ने बताया पास स्कूल होने होने की वजह से ऐसा परमिशन दिया गया था. अब राजस्व विभाग यह क्यों नहीं समझता की यह अवैध प्लांट सरकारी ज़मीन पर हैं इसे हटाने की बजाय दिन और रात करने में लगे हैं. यानी अंधेरी काली रात में डामर प्लांट का काला जहरीला धुवां गायब हो जाता होगा या इसमें कुछ और विज्ञानिक रीजन भी हों सकते हैं जो अफसरों और ठेकेदार के संज्ञान में होगा. इधर स्कूल प्रबंधन भी जिला प्रशासन को शिकायत कर चुका है, और परिजनों का कहना है कि डामर प्लांट को हटाकर शहर से बाहर करने की मांग की है। अब प्रशासन इसपर कब तक कार्यवाही करेंगे ये देखना होगा लेकिन अब इसकी शिकयत सीधे प्रदेश की राज्यधानी रायपुर और देश की राज्यधानी दिल्ली के एनजीटी के अफ़सर तक होगी.
अब जनहित याचिका होगी दायर
जनता अब इस तकलीफ़ से बहुत ज्यादा परेशान हैं. लगातार कई संबंधित विभाग और अफसरों तक शिकायत के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया अब वे हाई कोर्ट के दरवाज़े खटखटाने का निर्णय लिया हैं. नाम नहीं छापने के शर्त पर वहा पर निवासरत लोगों ने बताया हमारा परिवार बीमार होता हैं, हमे अफ़सर इस ज़हरीले धुएं को ऑक्सीजन बताने का कोशिश करते हैं अब साहेब को कौन समझाए की इसे झेलना तो हमी को हैं.
सुकमा डीएम के संज्ञान में है मामला
डीएम हरिश एस ने कहा कि इस मामले की जानकारी मिली हैं और राजस्व विभाग को इस डामर प्लांट को हटाने के निर्देश दिए हैं 15 दिवस के भीतर इसे हटाकर शहर से बाहर किया जायेगा.