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मध्यान्ह भोजन : बच्चों को परोसी जाने वाली सोयाबीन बड़ी में निकले कीड़े और घुन, 285 स्कूलों में हो रही सप्लाई, बच्चों को मिलने वाले भोजन का सभी स्कूलों में यही हाल

शिकायत मिलने पर अधिकारी जांच करने पहुंचे. जांच के दौरान जब अधिकारियों के सामने सोयाबीन बड़ी के सील पैक पैकेट को खोलकर उसे गर्म पानी में डालकर पकाया गया तो उसमें से छोटी-छोटी इल्लियां निकली और दूसरे पैकेट में से घुन निकले. वहीं तीसरा पैकेट ठीक निकला. जिसके बाद जिला स्त्रोत समन्वयक केएस नायक ने पूरे मामले की जांच कर रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपने की बात कही. सूत्रों की मानें तो बीते कुछ दिनों में अंग्रेजी माध्यम आत्मानंद इंग्लिश स्कूल और डाकबंगला स्कूल में भी कीड़े निकले थे. जिसके बाद उन्होंने सोयाबड़ी खिलाना बंद कर दिया. ऐसा नहीं है कि यह शिकायत दो-तीन स्कूल में ही आई है. लगभग हर स्कूल से कीड़े निकालने की शिकायत आते रहती है.

मार्केट रेट से ज्यादा में मिलती है सोयाबड़ी

छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम द्वारा प्रदत्त सोयाबीन बड़ी मार्केट दर से अधिक दर पर उपलब्ध कराई जाती है. मार्केट में अच्छी क्वॉलिटी की सोयाबीन बड़ी 80 से 90 रुपये किलो में मिल जाती है. वहीं स्कूलों में आने वाली सोयाबीन बड़ी की कीमत 131 रुपये किलोग्राम बताई जाती है. जो खाना बनाने वाले स्व-सहायता समूह के खाते से कटता है. पैकेट में 1 साल की अवधि लिखी होती है. लेकिन मैन्युफैक्चरिंग डेट दूसरी जगह लिखी होने के चलते लोगों को दिखाई नहीं देती है.

एक महीने में स्टॉक खत्म करने का दबाव

सोयाबीन बड़ी का स्टॉक किसी महीने नहीं आने पर दूसरे महीने दिया जाता है. उसे इस महीने खत्म करने का दबाव रहता है. जैसे जनवरी महीने में सोयाबीन पैकेट नहीं मिला और फरवरी महीने में मिला तो जनवरी और फरवरी दोनों महीने के पैकेट फरवरी महीने में बच्चों को खिलाए जाने का प्रेशर रहता है. हफ्ते में दो दिन के बदले बच्चों को 3 से 4 दिन सोयाबीन की बड़ी खिलाई जाती है. अधिकतर स्कूलों में शिकायत मिली है कि बच्चे सोयाबीन बड़ी खाना पसंद नहीं करते हैं.

285 स्कूलों में होती है सोयाबीन बड़ी की सप्लाई

गरियाबंद विकासखंड के अंतर्गत 192 प्रायमरी स्कूल हैं. जिसमें 8432 बच्चे हैं. इसी तरह 93 मिडिल स्कूल हैं. जिसमें 4,959 बच्चे हैं. शासन द्वारा जारी की गई गाइडलाइन के अनुसार प्राइमरी स्कूल के बच्चों को 10 ग्राम और मिडिल स्कूल के बच्चों को 15 ग्राम बड़ी सब्जी में मिलाकर खिलाना है. लेकिन बड़ी की क्वॉलिटी को देखते हुए अधिकतर बच्चे इसे खाने से परहेज करते हैं.

इस मामले में कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आया है. इसे जिला शिक्षा अधिकारी और संकुल स्त्रोत समन्वयक को जांच के लिए दिया गया है. अगर इस तरह की शिकायत सही पाई जाती है तो जिस संस्था के द्वारा बड़ी की सप्लाई की जाती है उसके ऊपर भी कार्रवाई की जाएगी. केएल नायक संकुल स्रोत समन्वयक ने कहा कि अभी आत्मानंद हिंदी मध्यम स्कूल में सोयाबीन बड़ी की जांच के लिए आया हूं. ब्लॉक शिक्षा अधिकारी और स्कूल के शिक्षकों को भी जांच के लिए कहा गया है. जांच के बाद जो भी रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी.

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