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माओवादी संगठन ने हिड़मा की मुठभेड़ को बताया फर्जी, 23 नवंबर को प्रतिरोध दिवस घोषित करने की अपील

बिगुल
माओवादी संगठन ने प्रेस विज्ञप्ति में केंद्रीय कमेटी सदस्य माड़वी हिड़मा और अन्य साथियों की सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ को ‘फर्जी’ करार दिया है। संगठन ने दावा किया है कि हिड़मा को असल में जंगल में पकड़कर हिरासत में कस्टडी में मार दिया गया, लेकिन सरकारी एजेंसियों ने इसे मुठभेड़ का ढोंग रचा। जारी बयान में यह भी कहा गया है कि हिड़मा और साथियों का शव बाद में पूर्वी गोदावरी जिले के जंगलों में छोड़ दिया गया, ताकि घटना को मुठभेड़ के रूप में दिखाया जा सके।

माओवादी संगठन ने 23 नवंबर को ‘प्रतिरोध दिवस’ के रूप में मनाने का आह्वान किया है। संगठन का कहना है कि इस दिन पूरे देश में जनविरोधी नीतियों और कथित फर्जी मुठभेड़ों के खिलाफ व्यापक विरोध-प्रदर्शन किए जाएं। साथ ही राज्य की “केंद्र और भाजपा सरकार” पर आरोप लगाया गया है कि वह लोकतंत्र की हत्या कर रही है और हिंदुत्ववादी फासीवादी चरित्र धारण कर चुकी है। भाकपा (माओवादी) की पूर्व वक्तव्य सामग्री में भी मोदी-नेतृत्व वाली सरकार को “हिंदुत्व-फासीवादी” बताया गया है, जिसे संगठन ने आदिवासी विरोधी नीतियों का उदाहरण माना है।

इस घटना के बाद भाकपा (माओवादी) ने सरकार पर तीखा प्रहार किया है। संगठन ने एनकाउंटर की वैधता पर सवाल उठाते हुए तत्कालीन कार्रवाई की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। इसी तरह बाएं मोर्चे की पार्टियों ने भी मामले को लेकर चिंता जताई है।

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