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एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं 400 से ज्यादा स्कूल, शिक्षा विभाग के दावे पर उठे सवाल

बिगुल
जगदलपुर. बस्तर के सरकारी स्कूलों में नए सत्र से अच्छी शिक्षा प्रणाली का दावा किया जा रहा है. शिक्षा विभाग के अधिकारी बेहतर नतीजों की भी बात कह रहे हैं. लेकिन दावों पर खरा उतरना सबसे बड़ी चुनौती है.

आदिवासी क्षेत्र होने की वजह से स्कूलों में संसाधनों का अभाव है. एकल शिक्षक के भरोसे 400 से ज्यादा स्कूल संचालित हो रहे हैं. 54 से ज्यादा स्कूल शिक्षक विहीन हैं. एकल शिक्षक स्कूलों में 5वीं तक की पढ़ाई होती है. पिछले कई वर्षों से स्कूली छात्रों के रिजल्ट में सुधार होता भी नहीं दिख रहा है. हालाकि नये शिक्षक आने से एकल शिक्षक स्कूलों की संख्या जरूर कम हुई है.

जिला शिक्षा अधिकारी भारती प्रधान भी प्राइमरी स्कूलों के साथ माध्यमिक और हाई स्कूल में लंबे समय से रेगुलर शिक्षकों की कमी स्वीकार करते हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि समय-समय पर जरूर अतिथि शिक्षक के माध्यम से खाली पदों पर भर्ती की जाती है. लेकिन रेगुलर बहाली नहीं होने से बड़ी संख्या में प्राइमरी स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं.

शिक्षकों की कमी से जूझ रहे सरकारी स्कूल

उन्होंने कहा कि शिक्षकों की कमी का मुद्दा आलाधिकारियों के सामने उठाया गया है. वर्तमान में 400 से ज्यादा प्राइमरी स्कूल एक शिक्षक के भरोसे पहली से पांचवीं तक संचालित हो रहे हैं. 54 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि नए शैक्षणिक सत्र में शिक्षक विहीन स्कूलों में अतिथि शिक्षक की व्यवस्था की जाएगी.

शिक्षा विभाग के अधिकारी क्या कहते हैं?

गौरतलब है कि हर साल शिक्षकों की कमी अतिथि शिक्षक के माध्यम से पूरी की जाती है. प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूल के नतीजे काफी खराब आ रहे हैं. अब देखना होगा कि नए शैक्षणिक सत्र में शिक्षकों की कमी दूर करने की क्या व्यवस्था की जाती है.

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