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कैंडिडेट का नामांकन चुनाव लड़ने से पहले इसलिए हो जाता है खारिज, जानिए इसके पीछे का कारण…

This is why a candidate's nomination gets rejected before contesting the elections, know the reason behind this...

तीन चरण अभी बाकी हैं। इस दौरान, कई उम्मीदवारों का नामांकन-पत्र खारिज किया गया है। चुनावी दौर में लोगों के मन में सवाल उठते होंगे कि आखिर किन वजहों से उम्मीदवार के नामांकन पत्र कैंसल हो सकते हैं। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि चुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार की उनकी जानकारी के बिना नामांकन पत्र कैंसल नहीं किया जा सकता है।

बिना कैंडिडेट की जानकारी के नहीं होता पर्चा खारिज
एक अधिकारी ने बताया कि जब भी कोई उम्मीदवार लोकसभा या विधानसभा चुनाव के लिए रिटर्निंग अफसर या असिस्टेंट रिटर्निंग अफसर के सामने अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं, तो उसी वक्त उसकी जांच की जाती है। अधिकारियों को अगर उसमें कहीं कोई कमी लगती है तो उम्मीदवार को वहीं पर एक चेक लिस्ट दी जाती है। उसमें उनके नामांकन पत्र में जहां-जहां जो भी कमियां रह गई होती हैं उन सभी की जानकारी दी जाती है।मसलन, नामांकन पत्र दाखिल करते वक्त अगर उम्मीदवार ने शपथ नहीं ली, सिक्यॉरिटी मनी जमा नहीं कराई, कोई कॉलम खाली छोड़ दिया, नामांकन पत्र के हर पेज पर साइन नहीं किए, नियमों के मुताबिक, प्रस्तावक नहीं दिए, अपने आपराधिक रेकॉर्ड, संपत्ति का ब्योरा, जूलरी, हथियार और पढ़ाई-लिखाई समेत इसी तरह की दूसरी जानकारियों वाले एफिडेविट नहीं दिए, तो इन कमियों के बारे में बताया जाता है। चेकलिस्ट में उम्मीदवार को यह बताया जाता है कि जो भी कमी उन्होंने नामांकन पत्र में छोड़ी है उन सभी को लास्ट डेट से पहले कितने दिनों में पूरा करके देना है।

कमियों को पूरा नहीं किया तो नामांकन रद्द
अगर उम्मीदवार ने अपने नामांकन-पत्र में छोड़ी गई कमियों को तय समय में पूरा कर दिया तो उनका नामांकन पत्र कैंसल नहीं होता। अगर, उम्मीदवार ने चेकलिस्ट दिए जाने के बाद भी समय पर उन कमियों को पूरा नहीं किया तो नामांकन पत्रों की जांच के दौरान उसका नामांकन पत्र रद्द कर दिया जाता है। चेकलिस्ट दिए जाने के बाद उम्मीदवार को फोन करके या किसी दूसरी तरीके से उन कमियों को पूरा करने की याद नहीं दिलाई जाती। यह उम्मीदवार की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने नामांकन पत्र में छोड़ी गई कमियों को तय समय में पूरा करे।

चुनाव लड़ने के लिए इन चीजों की जरूरत
रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट-1951 के तहत कोई भी शख्स जो भारत का नागरिक हो, उसका नाम वोटर लिस्ट में हो और वह चुनाव लड़ने के लिए तय उम्र हासिल कर चुका है, तो वह चुनाव लड़ सकता है। चुनावी अधिसूचना जारी होने के साथ ही नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय जैसे राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को एक प्रस्तावक चाहिए होता है। निर्दलीय उम्मीदवार को 10 प्रस्तावक चाहिए होते हैं। लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए 25 हजार और SC-ST वर्ग से संबंध रखने वाले उम्मीदवार को 12.5 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है। अगर, किसी शख्स को किसी मामले में कम-से-कम दो साल की सजा मिली होती है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता.

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