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पेड़ों की कटाई हुई तो झुलसने लगा मैनपाट, पहले तापमान अधिकतम 30 से 40 डिग्री होता था अब 40 पार

मैनपाट में आज से दो दशक पहले नौ तपा में भी अधिकतम तापमान 30-35 डिग्री तक रहता था लेकिन यहां पेड़ों की कटाई और बक्साईट खदानों की वजह से तापमान पर बुरी तरह असर पड़ा है. अब हिल स्टेशन मैनपाट और अंबिकापुर के तापमान में एक से दो डिग्री का ही अंतर रह गया है. अब मैनपाट में भी लोग एयर कंडीशनर और कूलर कुलर का उपयोग करने लगे हैं जबकि दो दशक पहले यहां इसकी जरूरत तक नहीं थी.

यहां होटलों और रिसार्ट में भी एयर कंडीशनर लगाया गया है. मतलब साफ है कि अब साल दर साल मैनपाट भी गर्म होता जा रहा है लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, वन विभाग भी हर साल पौधरोपण के नाम पर कागजी कोरम ही पूरा कर रहा है और मैनपाट गर्म हो रहा है.

मैनपाट में तिब्बतियों को इसलिए बसाया गया था, क्योंकि मैनपाट सबसे ठंडा क्षेत्र था और तिब्बतियों के रहवास के लिए अनुकूल था, लेकिन अब यहां तेज गर्मी और रोजगार की कमी की वजह से तिब्बती भी यहां रहना पसंद नहीं कर रहें हैं. दूसरी तरफ मैनपाट में ठंडा क्षेत्र होने की वजह से इसके अलग-अलग जगहों को पर्यटन के रूप में विकसित किया गया है, लेकिन जब यहां का तापमान भी अंबिकापुर की तरह होने लगेगा तो फिर पर्यटन पर भी खतरा बढ़ेगा. बता दें कि सरकार ने मैनपाट को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने करोड़ो रुपये खर्च किये हैं लेकिन यहां के पर्यावरण के लिये ईमानदार काम नहीं हुआ है. वहीं ऐसे हालत बनने के बाद भी जिम्मेदारी
जनप्रतिनिधि और अफसर इस दिशा में कोई पहल नही कर रहें हैं.

मैनपाट में हर साल पर्यटन को बढ़ाने के लिए मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसमें करोड़ो रुपये खर्च किया जाता है लेकिन इसमें मैनपाट के पर्यावरण को लेकर चिंता तक नहीं जताया जाता है, और राज्य के बड़े नेता यहां जहां राजनैतिक रोटी सकते हैं तो वहीं जिले के अफसर इस महोत्सव के माध्यम से मनोरंजन करते हैं.

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