चार साल पहले दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी के नए-नए वेरिएंट अक्सर सामने आते रहते हैं. इसके चलते अभी भी कोरोना का खतरा बना हुआ है. हाल ही में वायरस में एक बार फिर से म्यूटेशन हुआ है, जिससे कोरोना का नया सब-वेरिएंट कई सामने आया है. इसके चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने लोगों से सावधानी बरतते रहने की अपील की है.
इस बीच डब्ल्यूएचओ ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के कारण ग्लोबल लाइफ एक्सपेक्टेंसी में लगभग दो साल की कमी आ है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार 2019 और 2021 के बीच दुनिया भर में लाइफ एक्सपेक्टेंसी 1.8 वर्ष गिरकर 71.4 वर्ष हो गई है.
इस संबंध में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम घेबियस ने कहा कि केवल दो साल में कोविड -19 महामारी ने लाइफ एक्सपेक्टेंसी में एक दशक की बढ़त को मिटा दिया. हालांकि, ये आंकड़े ग्लोबल हेल्थ सिक्योरिटी को मजबूत करने और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने पर जोर दिया.
सबसे ज्यादा अमेरिका पर पड़ा असर
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में कोरोना वायरस का सबसे बड़ा प्रभाव हुआ, जहां लाइफ एक्सपेक्टेंसी लगभग तीन साल कम हो गई है. इसके विपरीत, पश्चिमी प्रशांत देश महामारी के पहले दो साल के दौरान सबसे प्रभावित हुए थे.
कोरोना 2020 में मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण
WHO की ग्लोबल हेल्थ स्टैटिस्टिक 2024 की रिपोर्ट ने पुष्टि की कि 2020 में कोविड-19 वैश्विक स्तर पर मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण था और एक साल बाद दूसरा सबसे बड़ा कारण था. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 और 2021 में अमेरिका में मृत्यु दर का प्रमुख कारण भी कोरोना वायरस ही था. रिपोर्ट में कहा कि कोरोना ने सीधे तौर पर सेहत को गंभीर नुकसान तो पहुंचाया और संक्रमण के कारण उपजी परिस्थितियों ने दुनियाभर में कुपोषण के बोझ को भी बढ़ा दिया है.