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अगर आप भी तुलसी माला के साथ पहनते हैं रुद्राक्ष,तो हो जाए सावधान,नही तो भुगतने पड़ेंगे ये परिणाम…

If you also wear Rudraksha with Tulsi Mala, then be careful, otherwise you will have to suffer these consequences…

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है. इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. यह पौधा धार्मिक के साथ ही शारीरिक रूप से भी विशेष महत्व रखता है. वहीं बात करें तुलसी की माला की तो, कहा जाता है कि उसे पहनने के एक नहीं अनेक फायदे होते हैं. लेकिन, इसे पहनने के लिए कई नियमों का पालन करना जरूरी है.

उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश के सोमेश्वर महादेव मंदिर के महंत रामेश्वर गिरी ने बताया कि पूर्व जन्म में तुलसी का पौधा वृंदा नामक एक लड़की थी, जिसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था और विवाह राक्षस जलंधर से हुआ था. वृंदा भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी. जलंधर के युद्ध के दौरान वृंदा अनुष्ठान में बैठी थी, जिस कारण देवता उसका वध नहीं कर पा रहे थे. तभी भगवान विष्णु ने राक्षस जलंधर का रूप लिया और वृंदा के पास चले गए, जिसे देख वृंदा अनुष्ठान से उठ गई और युद्ध क्षेत्र में जलंधर का वध हो गया. वृंदा ने जब जलंधर का कटा हुआ सिर देखा, तो क्रोधित होकर भगवान विष्णु को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया. सभी देवताओं के निवेदन के बाद उसने श्राप वापस लिया और अपने पति का कटा हुआ सिर लेकर सती हो गई. इसके बाद भगवान विष्णु ने राख से निकले उस पौधे को तुलसी नाम दिया.

तुलसी की माला के फायदे
महंत रामेश्वर गिरी ने बताया कि तुलसी की माला धार्मिक के साथ ही शारीरिक और मानसिक रूप से भी अपना महत्व रखती है. इसे पहनने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. घर में सुख-शांति बनी रहती है. इसके साथ ही इसे पहनने से व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है. इतना ही नहीं, यह शरीर संबंधित बीमारियों में भी लाभदायक और मानसिक तनाव कम करती है.

तुलसी की माला के साथ न पहनें रुद्राक्ष

तुलसी की माला पहनने से पहले और पहनने के बाद भी कई नियमों का पालन करना जरूरी है. इसे पहनने से पहले दूध और गंगा जल से साफ कर लें. इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और फिर माला को पहनें. अगर आप मांस-मदिरा का सेवन करते हैं, तो इस माला को न पहनें. साथ ही रुद्राक्ष और तुलसी की माला कभी भी एक साथ नहीं पहनी जाती है. रुद्राक्ष और तुलसी की माला साथ पहनने का निषेध धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं पर आधारित है. रुद्राक्ष शिव से जुड़ा है और इसका संबंध उग्रता और शक्ति से है. जबकि तुलसी विष्णु से संबंधित है और इसका संबंध शांति और भक्ति से है. दोनों की ऊर्जा और धार्मिक महत्व भिन्न होते हैं, जिससे उन्हें एक साथ पहनने से उनकी आध्यात्मिक प्रभावशीलता में कमी आ सकती है. इसके अलावा, शिव और विष्णु की पूजा पद्धतियों में अंतर होने के कारण भी यह निषेध है. धार्मिक अनुशासन और परंपराओं का पालन करते हुए इन मालाओं को अलग-अलग पहनना उचित माना जाता है.

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