हाईकोर्ट : बिना कारण पत्नी का घर के अलग कमरे में रहना सही नहीं, ये पति के प्रति है मानसिक क्रूरता, जानिए क्या है पूरा फैसला
बिगुल
बिलासपुर हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में कहा है कि एक ही छत के नीचे साथ रहने के बाद भी किसी पर्याप्त कारण के बिना पत्नी का घर के अलग कमरे में रहना पति के प्रति मानसिक क्रूरता है। डिवीजन बेंच ने बेमेतरा के फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए पति को विवाह विच्छेद की अनुमति दी है।
मामले में फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री को मंजूर करते हुए विवाह विच्छेद की अनुमति दी थी। फैमिली कोर्ट के फैसले के विरुद्ध पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने पाया कि पत्नी के व्यवहार के कारण साथ रहना संभव नहीं, इसलिए याचिका खारिज कर दी।
समझौते की कोशिश नाकाम
उल्लेखनीय है कि विवाह के कुछ समय बाद ही पति- पत्नी में विवाद शुरू हो गया था। पति और घरवालों की समझाइश के बाद पत्नी साथ रहने को राजी हो गई, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर विवाद शुरू कर दिया। इस दौरान उसने उसने पति के साथ रहने से ही इंकार कर दिया। स्वजनों ने सामाजिक बैठक बुलाई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। हालत यह हुई के पति पत्नी एक ही छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने लगे।
पत्नी का संदेहपूर्ण व्यवहार असहनीय
पत्नी के साथ वैवाहिक जीवन नहीं गुजारने के कारण मानसिक रूप से परेशान होकर पति ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की डिक्री के लिए फैमिली कोर्ट में मामला दायर किया। पत्नी ने अपने लिखित बयान में आरोपों से इन्कार किया और पति का मामला खारिज करने की मांग की। पत्नी ने कोर्ट को बताया कि शादी की रात उनके शारीरिक संबंध बने।
शादी के बाद अक्टूबर 2021 तक पति के साथ उसने अच्छे माहौल में शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन बिताया। फैमिली कोर्ट में सुनवाई के दौरान पत्नी ने कहा कि पति का ममेरी बहन के साथ व्यवहार पसंद नहीं आया। लेकिन यह नहीं बता सकी कि पति का ममेरी बहन के साथ कौन सा व्यवहार पसंद नहीं आया। पति ने कोर्ट को बताया कि पत्नी को उसकी भाभी के साथ भी संबंधों पर संदेह था। ऐसे आरोप किसी सभ्य व्यक्ति के लिए सहन करने योग्य नहीं हैं।