ब्रेकिंग : भाजपा नेत्री नम्रता सिंह जैन पर फर्जी प्रमाण पत्र से जिला पंचायत अध्यक्ष पद हथियाने का आरोप, सरकार से हुई लिखित शिकायत, मामला न्यायालय पहुंचेगा

बिगुल
मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी. एक चौंकाने वाले खुलासे ने जिला पंचायत की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष नम्रता सिंह जैन पर फर्जी अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र के जरिए एसटी आरक्षित सीट जीतकर अध्यक्ष पद पर काबिज होने का गंभीर आरोप लगा है। यह मामला सामाजिक न्याय, संवैधानिक प्रावधानों और प्रशासनिक पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
नम्रता सिंह जैन, पति श्री सचिन जैन, वर्तमान में मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी की जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। उनके पिता स्वर्गीय श्री नारायण सिंह (जन्म 1954, ओडिशा) 1977 बैच के आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश/छत्तीसगढ़ कैडर में अपनी सेवाएँ दीं। नम्रता ने 2025 में जिला पंचायत चुनाव में एसटी आरक्षित सीट पर जीत हासिल की और बाद में अध्यक्ष पद संभाला।
शिकायतकर्ता के अनुसार, नम्रता सिंह जैन ने जो एसटी प्रमाण पत्र (जारी तारीख 26/12/2019) प्रस्तुत किया, वह फर्जी है। यह प्रमाण पत्र तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर चन्द्रिका प्रसाद बघेल द्वारा जारी किया गया था। आरोप है कि प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उचित सत्यापन नहीं किया गया, जो प्रशासनिक लापरवाही और संभावित भ्रष्टाचार को दर्शाता है।
सवाल खड़े करने वाले तथ्य
इस मामले में शिकायतकर्ता ने जो सवाल उठाये हैं, उसके मुताबिक 1950 से पूर्व छत्तीसगढ़ में नम्रता या उनके परिवार का कोई दस्तावेज, राजस्व रिकॉर्ड या ग्राम सभा प्रस्ताव मौजूद नहीं है, जो ST प्रमाण पत्र के लिए अनिवार्य है। नम्रता के पिता ओडिशा मूल के हैं, और संविधान के अनुच्छेद 342 के अनुसार एक राज्य की ST मान्यता दूसरे राज्य में मान्य नहीं होती।
जांच में देरी पर शिकायतकर्ता को आपत्ति
एसडीएम, मोहला द्वारा दिनांक 26/05/2025 को जांच समिति के गठन का पत्र जारी किया गया है, लेकिन कार्रवाई में देरी को लेकर शिकायतकर्ता ने चिंता जताई है। उन्होंने 15 दिनों में निष्पक्ष जांच की मांग की है, ताकि सत्य शीघ्र सामने आ सके।
शिकायत में की गई है यह मांग
विवेक कुमार सिंह ने इस मामले की 15 दिन में जांच कर ST प्रमाण पत्र की वैधता, निवास और सामाजिक स्थिति की पुष्टि करने की मांग की है। इसके अलावा प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाने उसे रद्द किये जाने और पंचायत राज अधिनियम की धारा 19 व 36 के तहत अध्यक्ष पद से अयोग्यता घोषित करने की भी मांग की गई है। BNS, SC/ST अधिनियम और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई हो। सभी दस्तावेज RTI अधिनियम की धारा 4 के तहत सार्वजनिक किए जाएं।
शिकायतकर्ता ने कहा है कि यह मामला संविधान के अनुच्छेद 14, 342 और 243D का सीधा उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले (जैसे माधुरी पाटिल बनाम अतिरिक्त आयुक्त – 1994 व महाराष्ट्र राज्य बनाम मिलिंद – 2001) के अनुसार, फर्जी ST प्रमाण पत्र से प्राप्त पद और लाभ रद्द किए जा सकते हैं।




