क्या आपने देखा है कुत्ते का मंदिर? लोगों की है गहरी आस्था, जानिए दिलचस्प कहानी
बिगुल
आपने अलग-अलग देवी-देवताओं का मंदिर तो देखा होगा. वहीं मंदिरों से जुड़ी कई कहानियां भी आपने सुनी ही होगी, लेकिन कुत्ते के मंदिर के बारे में शायद ही सुना हो… तो चलिए आपको ऐसे ही मंदिर के बारे में बताते हैं, जहां भगवान नहीं बल्कि कुत्ते की पूजा होती है. यह मंदिर छत्तीसगढ़ में दुर्ग जिले में बना है. इस मंदिर को कुकुरचबा/कुकुरदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां की अजीबोगरीब मान्यता और इस मंदिर के निर्माण की कहानी जानकर आप हैरान हो जाएंगे. आइए आज आपको इस मंदिर के बारे में विस्तार से बताते हैं.
कई सौ साल पहले बना कुकुरदेव मंदिर
ये मंदिर दुर्ग जिला के धमधा ब्लॉक के भानपुर गांव से खेतों के बीच में स्थित है. इस मंदिर के गर्भगृह में कुत्ते की प्रतिमा स्थापित है. इसका निर्माण 16-17 शताब्दी के समय एक वफादार कुत्ते की याद में हुआ था.
ये है मंदिर बनने की कहानी
कहते हैं कि सदियों पहले एक बंजारा अपने परिवार के साथ इस गांव में आया था. उसके साथ एक कुत्ता भी था. गांव में एक बार अकाल पड़ गया तो बंजारे ने गांव के साहूकार से कर्ज लिया, लेकिन वो कर्ज वापस नहीं कर पाया. ऐसे में बंजारे ने वफादार कुत्ता साहूकार के पास गिरवी रख दिया उसी दौरान साहूकार के यहां चोरी हो गई. चोरों ने चोरी कर सारा माल पास जमीन के नीचे गाड़ दिया और सोचा कि बाद में उसे निकाल लेंगे, लेकिन कुत्ते को उस चोरी किए माल के बारे में पता चल गया और वो साहूकार को वहां तक ले गया. कुत्ते की बताई जगह पर साहूकार ने गड्ढा खोदा तो उसे अपना सारा माल मिल गया.
साहूकार ने कुत्ते की वफादारी से खुश होकर गिरवी रखे वफादार कुत्ते को आजाद कर देने का फैसला लिया और उसने बंजारे के नाम एक चिट्ठी लिखी और कुत्ते के गले में लटकाकर उसे उसके मालिक के पास भेज दिया. वहीं कुत्ता जैसे ही बंजारे के पास पहुंचा, उसे लगा कि वो साहूकार के पास से भागकर आया है. इसलिए उसने गुस्से में आकर कुत्ते का सिर काट का मार डाला. मारने के बाद बंजारे ने कुत्ते के गले में लटकी साहूकार की चिट्ठी पढ़ी तो वो हैरान हो गया. उसे अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ. उसके बाद उसने उसी जगह कुत्ते को दफना दिया और उस पर स्मारक बनवा दिया स्मारक को बाद में लोगों ने मंदिर का रूप दे दिया, जिसे आज लोग कुकुरचबा मंदिर के नाम से जानते हैं.
कुत्ते काटने की बीमारी होती है ठीक
जहां लोगो कुत्ते के काटने पर स्मारक की पूजा पाठ कर निर्माण चबूतर की परिक्रमा करते वहां मौजूद मिट्टी को खाने से कुत्ते के काटने वाली बीमारी खत्म हो जाती है.



