कांग्रेस का नया खुलासा : केन्द्र सरकार ने अदानी की सलाह पर लाए तीन नए कृषि कानून, अंतर-मंत्रालयी समिति की रिपोर्ट तक खारिज कर दी!

बिगुल
नई दिल्ली. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने आज अपने टिवटर एकाउंट पर एक पोस्ट करते हुए गंभीर आरोप लगाया और दावा किया कि पीएम मोदी तीन नए कृषि कानून लाने के पहले अडानी ग्रुप जैसे कार्पोरेटस से बात की गई लेकिन किसी अर्थशास्त्री, किसान संगठन से सलाह नही ली गई.
कांग्रेस ने पूछा कि तीन कृषि कानून किसकी सलाह पर लाए थे? जवाब है- एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने वाले बिजनेसमैन की सलाह पर। हां, आपने बिल्कुल ठीक पढ़ा। एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाने वाले बिजनेसमैन ने ये आइडिया दिया था। इतना ही नहीं, इस बिजनेसमैन ने आइडिया देने से पहले अडानी ग्रुप से सलाह ली।
एक वेबसाइटस की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि किसानों के विरोध के दौरान अडानी समूह ने तीन काले कृषि कानूनों की पैरवी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। इधर कांग्रेस ने कहा कि फरवरी 2016 में, यूपी में एक चुनावी रैली में, पीएम ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की घोषणा की. उसके बाद अप्रैल 2016 में, मोदी सरकार ने पीएम की घोषणा का विवरण तैयार करने के लिए अशोक दलवई की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया जिसने 14 खंड में कृषि कानून का मसौदा तैयार किया.
सितंबर 2018 में, दलवई समिति ने अपना अंतिम खंड प्रस्तुत किया और इसकी प्रमुख सिफारिशों में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन का सुझाव देते हुए किसानों के लिए सुरक्षा उपाय शामिल थे. उसने कहा कि “यह अनुशंसा की जाती है कि निजी संगठनों को स्टॉक सीमा से सशर्त छूट का विकल्प दिया जाए जो सीधे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों पर स्टॉक खरीदते हैं साथ ही परिवर्तनीय निर्यात सीमाओं से भी छूट दी जाती है”
इस बीच, अप्रैल 2018 तक, अडानी पहले से ही इस मुहिम में लग गए थे. कॉर्पोरेट प्रतिनिधियों से भरी नीति आयोग की एक अन्य समिति को कृषि वस्तुओं की जमाखोरी पर लगे प्रतिबंधों को पूरी तरह से हटाने की सिफारिशें कर रहे थे. 2019 के चुनावों के बाद, मोदी सरकार ने महामारी के बीच जून 2020 में 3 कृषि अध्यादेश पारित कर विधेयक पेश किया, जिसे सितंबर 2020 में कानून के रूप में पेश किया गया, जिसमें मोदी सरकार ने अपनी अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा सुझाए गए किसानों के लिए सुरक्षा उपाय हटा दिए गए.
‘किसानों की आय दोगुनी करने’ की आड़ में मोदी सरकार की योजना हमेशा कृषि का कॉर्पोरेटीकरण करने और पीएम के सबसे करीबी दोस्त को भारी मुनाफा कमाने की अनुमति देने की थी.
जानते चलें कि एक वेबसाइट की आई ताजा रिपोर्ट को खुलासा को आधार बनाते हुए कांग्रेस ने यह दावा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2020 में विवादास्पद नए कृषि कानून पेश करते हुए कॉर्पोरेट संस्थाओं को चावल, गेहूं और दाल जैसी वस्तुओं की जमाखोरी करने की अनुमति दी थी और कृषि जिंसों को विनियमित बाजारों के बाहर बेचने के लिए रास्ते आसान कर दिए थे.