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भारत में फिलिस्तीन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, शामिल होने वालों पर FIR

बिगुल

बेंगलुरु :- बेंगलुरु पुलिस ने फिलिस्तीन के समर्थन में मौन विरोध प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस से प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली गई थी।एफआईआर बुधवार को दर्ज की गई। ये विरोध प्रदर्शन 5 नवंबर को किया गया था। शहर के सेंट मार्क रोड पर आयोजित कार्यक्रम में लोगों ने फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले पोस्टर और तख्तियां ले रखी थीं।

विरोध प्रदर्शन के कारण सड़क पर वाहनों की आवाजाही प्रभावित हुई और यातायात अस्त-व्यस्त हो गया। पुलिस ने आईपीसी की धारा 149 गैरकानूनी सभा, 188 लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा, 283 सार्वजनिक रास्ते में खतरा या बाधा, 290 सार्वजनिक उपद्रव और 291 सार्वजनिक उपद्रव की पुनरावृत्ति के तहत मामला दर्ज किया है।

39 पत्रकार-मीडियाकर्मी मारे गए

हमास के 7 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ बड़े पैमाने पर हमला शुरू करने के बाद से हमास-इजरायल संघर्ष की कवरेज करने वाले कम से कम 39 पत्रकार और मीडियाकर्मी हिंसा में मारे गए हैं। कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। न्यूयॉर्क स्थित गैर-लाभकारी संस्था ने 1992 में रिकॉर्ड रखना शुरू किया था। बुधवार को जारी अपनी अद्यतन रिपोर्ट में उसने दावा किया कि पिछले 32 साल में अक्टूबर 2023 वैश्विक स्तर पर पत्रकारों के लिए सबसे घातक महीना रहा।

मारे गए 39 मीडियाकर्मियों में से 34 फ़िलिस्तीनी, चार इज़रायली और एक लेबनानी था। सीपीजे ने यह भी कहा कि अन्‍य आठ पत्रकार घायल हुए, तीन लापता हैं और 13 अन्य को गिरफ्तार किया गया है। इस बीच, कई हमलों, धमकियों, साइबर हमलों, सेंसरशिप और पत्रकारों के परिवार के सदस्यों की हत्या की भी खबरें थीं। सीपीजे ने आगे कहा कि वह अन्य पत्रकारों के मारे जाने, लापता होने, हिरासत में लेने, घायल होने या धमकाने और मीडिया कार्यालयों और पत्रकारों के घरों को नुकसान पहुंचाने की कई अपुष्ट रिपोर्टों की जांच कर रहा है।

रिपोर्ट में सीपीजे के मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम समन्वयक शेरिफ मंसूर के हवाले से कहा गया है, “सीपीजे इस बात पर जोर देता है कि पत्रकार संकट के समय महत्वपूर्ण काम करने वाले नागरिक हैं और उन्हें युद्धरत दलों द्वारा निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए।” उन्‍होंने कहा, “इस हृदय विदारक संघर्ष को कवर करने के लिए पूरे क्षेत्र के पत्रकार महान बलिदान दे रहे हैं। विशेष रूप से गाजा में रहने वालों ने अभूतपूर्व क्षति उठाई है और अब भी उठा रहे हैं।उन्हें तेजी से खतरों का सामना करना पड़ रहा है।

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