Blog

किराना दुकानदार की बेटी सहायक संचालक, स्टेशनरी दुकानदार की बेटी भी बनीं अफसर; दमोह में हर तरफ चर्चा

बिगुल
एमपीपीएससी परीक्षा में दमोह की बेटियों ने बाजी मारी है। अपने पिता के साथ उनके कारोबार में हाथ बटाने वाली बेटियों ने इस परीक्षा में सफल होकर अधिकारी बनकर परिवार के साथ जिले का नाम रोशन किया है। इन बेटियों का कहना है कि लगातार अभ्यास, कड़ी मेहनत व धैर्य से सफलता जरूर मिलती है।

दोनों बेटियों ने जो लक्ष्य बनाया था, उसे चौथे प्रयास में पूरा किया है। हालांकि दोनों का लक्ष्य डिप्टी कलेक्टर बनना है। जिसके लिए वह नौकरी के साथ-साथ आगे भी अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए पढ़ाई जारी रखेंगी। शनिवार की देर शाम जब एमपीपीएसी परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ तो इन बेटियों से ज्यादा खुशी उनके परिजनों व पड़ोसियों को हुई

किराना दुकानदार की बेटी बनेगी सहायक संचालक
शहर से सटे चौपराखुर्द जबलपुर नाका निवासी स्वाति दुबे का चयन सहायक संचालक शिक्षा में हुआ है। उनके पिता धर्मेंद्र दुबे किराना की दुकान चलाते हैं। मां रिचा गृहिणी हैं। स्वाति ने 9वीं से 12वीं तक उत्कृष्ट विद्यालय में पढ़ाई की। इसके बाद डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय से बीएएसी की, जिसमें गोल्ड मेडल मिला। इसके बाद घर पर रहकर ही पीएससी की तैयारी की। स्वाति ने बताया कि उन्हें यह सफलता चौथे प्रयास में मिली है।

लगातार तीन बार से प्री-एक्जाम में नाम नहीं आ रहा था, लेकिन उन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया और पहले जो कमियां थीं, उसे दूर किया। इसके बाद चौथे प्रयास में प्री, मेंस और इंटरव्यू में पास हुई। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य डिप्टी कलेक्टर बनने का है। इसलिए नौकरी के साथ-साथ डिप्टी कलेक्टर के लिए भी तैयारी जारी रखेंगीं। अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, बड़े पिता डॉ. राघवेंद्र दुबे, चाचा जितेंद्र, नीरज को दिया है।

स्टेशनरी दुकानदार की बेटी बनी आबकारी निरीक्षक
तीर्थ नगरी बांदकपुर निवासी काजल नेमा का चयन आबकारी उप निरीक्षक के पद पर हुआ है। उनके पिता रामप्रकाश नेमा स्टेशनरी दुकान चलाते हैं। मां संध्या गृहिणी हैं। काजल ने आठवीं तक की पढ़ाई बांदकपुर में की। इसके बाद अपनी नानी के घर नरसिंहपुर में उत्कृष्ट विद्यालय में 12वीं की। काजल ने बताया कि वह पिछले तीन बार से प्री व मेन्स तो निकाल रहीं हैं, लेकिन हर बार इंटरव्यू में नहीं निकल पा रही थीं, लेकिन उन्होंने अपना धैर्य नहीं छोड़ा। माता-पिता और सहपाठियों ने भी उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। जिसके चलते वह लगातार मेहनत करती रहीं। उन्होंने बताया कि वह आगे जाकर डिप्टी कलेक्टर बनना चाहती हैं। तैयारी कर रहे प्रतिभागियों से कहना चाहती हूं जो लक्ष्य तय किया है, उसके प्रति पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत करें और धैर्य बनाए रखें, एक दिन सफलता निश्चित ही मिलती है।

Show More

The Bigul

हमारा आग्रह : एक निष्पक्ष, स्वतंत्र, साहसी और सवाल पूछती पत्रकारिता के लिए हम आपके सहयोग के हकदार हैं. कृपया हमारी आर्थिक मदद करें. आपका सहयोग 'द बिगुल' के लिए संजीवनी साबित होगा.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button