छत्तीसघाट

IAS अधिकारियों ने चुनाव आयोग के अनुमति बिना डीए का आदेश कर किया आचार संहिता का उल्लंघन

बिगुल

रायपुर :- भारत निर्वाचन आयोग और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक व भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने एक्स के माध्यम से पोस्ट कर अवगत कराया है कि छत्तीसगढ़ राज्य में सेवारत अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों ने आचार संहिता का उलंघन कर राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए दी गई अनुमति को पलट कर अपने लिए आदेश जारी कर आचार संहिता का घोर उलंघन किया है।

जबकि अनुमति प्राप्त कर्मचारियों/पेंशनरों हेतु डीए डीआर का आदेश आज तक नहीं हुआ है। इस अनैतिक कार्य के लिए जिम्मेदार लोगो पर भारत निर्वाचन आयोग से कठोर कार्यवाही करने की मांग की है।जारी विज्ञप्ति में भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री पूर्व कर्मचारी नेता वीरेंद्र नामदेव ने आगे बताया है कि छत्तीसगढ़ में लगातार 5 वर्षों से डीए/डीआर के लिए संघर्ष करने वाले कर्मचारी/पेंशनर संगठनों को विधानसभा चुनाव के कारण भरोसा बनी थी कि इस बार पहली बार एरियर सहित मतदान के पहले डीए डीआर के भुगतान के आदेश जरूर होगें परन्तु निर्वाचन आयोग से अनुमति लेने में जानबूझकर लेटलतीफी करने के कारण यह संभव नहीं हो सका।

इसके कारण कर्मचारी और पेंशनर समाज में व्याप्त नाराजगी का असर प्रथम चरण के मतदान में पड़ने की जानकारी होने बाद मुख्यमंत्री ने गड्ढा पटने के हिसाब से एक्स में पोस्ट कर जानकारी दिया कि इस बारे में निर्वाचन आयोग से अनुमति लेने हेतु अधिकारियों को निर्देश दिया गया है। जारी विज्ञप्ति उन्होंने बताया है कि छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा देर से अनुमति मांगने के कारण पूरा मतदान निपटने के बाद 22 नवम्बर 23 को निर्वाचन आयोग द्वारा अनुमति मिली और उसके बाद इस अनुमति को जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि यह अनुमति राज्य के कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए दी गई है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों ने तुरंत बिना देर किए 22/11/23 को अपने लिए बिना अनुमति लिए ही उसी अनुमति को आधार बनाकर दो अलग अलग किस्त 42 और 46% के कुल 8% डीए एरियर सहित भुगतान लेने के आदेश खुद हस्ताक्षर से कर लिए हैं।

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