विधानसभा : भाजपाई दिग्गजों को करारा जवाब दिया ‘टीम-महंत’ ने, विधायक उमेश पटेल, संगीता सिन्हा, राम कुमार यादव, शेषराज हरबंस के प्रदर्शन से मजबूत हुई कांग्रेस
बिगुल
रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का समापन दो दिन पहले ही हो गया. इस दौरान पक्ष—विपक्ष के नए-पुराने विधायकों ने सदन में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई. सबसे सफल रहे नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, जिनके नेतृत्व में युवा कांग्रेस विधायकों ने भाजपा सरकार के धुरंधरों को छकाकर रख दिया. कुछ विधायकों की तारीफ विधानसभा अध्यक्ष डॉ.रमन सिंह ने भी की
सिंह ने कहा, ‘मैंने अपने संसदीय जीवन में किसी सत्र में प्रश्नकाल का इतना बेहतर उपयोग कम ही देखा है. दरअसल विधानसभा चुनाव होने के बाद सदन का नजारा बदल चुका है. जो कांग्रेस कभी सत्ता में थी, अब विपक्ष में है और विपक्ष में रही भाजपा सरकार में. पूर्व मुख्यमंत्री रहे डॉ.रमन सिंह अब विधानसभा अध्यक्ष हैं और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे डॉ.चरण दास महंत नेता प्रतिपक्ष. पहले परिचयात्मक विधानसभा सत्र में ही मंहत ने साफ कर दिया था कि सदन ने अध्यक्ष के तौर पर अब तक उनकी शालीनता देखी है, अब विपक्ष के नेता के तौर पर उनकी मुखरता भी देखेगा.
महंत का संसदीय अनुभव काम आया
दरअसल कांग्रेस के सत्ताच्युत होते ही तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट कर दिया था कि पांच साल तक कोई जिम्मेदारी नही लेंगे. ऐसे में पार्टी के सामने यह संकट बन गया था कि छत्तीसगढ़ विधानसभा का नेता कौन हो. नतीजन 40 साल से अधिक का संसदीय ज्ञान और अनुभव समेटे डॉ.चरण दास महंत को राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने नेता प्रतिपक्ष बना दिया. महंत गांधी परिवार के भी करीबी माने जाते हैं, अविभाजित मध्य प्रदेश में तीन बार विधायक चुने गए और गृह मंत्री के साथ साथ जनसंपर्क का भी अनुभव रखते हैं. इसके अलावा वे तीन बार लोकसभा सांसद, केन्द्रीय राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.
नए विधायकों का बढ़ाया हौसला
कुल मिलाकर अथाह संसदीय ज्ञान के पुरोधा हैं नेताजी. मगर नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद महंत को महसूस हुआ कि इस बार वरिष्ठ विधायकों की बजाय नये चेहरे विधायक बनकर ज्यादा आए हैं, ऐसे में सरकार को कौन कैसे घेरेगा. सो उन्होंने कभी निवास पर, कभी विधानसभा के अपने कक्ष में साथी विधायकों के साथ मैराथन बैठक करके सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की. महंत का दर्द भी विधानसभा में छलका जब उन्होंने सीएम की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि पहले हमारी सुनता कौन था!
एकजुट रहे विधायक
इस सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधायक कवासी लखमा अलग—अलग कारणों से लगभग गायब ही रहे. ऐसे में महंत का साथ विधायक सर्वश्री उमेश पटेल, अटल श्रीवास्तव, ब्यास कश्यप, रामकुमार यादव, शेषराज हरवंश और संगीता सिन्हा ने दिया. इस साथियों की बदौलत महंत ने सरकार को जमकर घेरा. विधायक उमेश पटेल ने शांत और सौम्य तरीके से अजय चंद्राकर और राजेश मूणत जैसे धाकड़ वक्ताओं का मुकाबला किया तो दूसरी बार विधायक बनी संगीता सिन्हा भाजपा की महिला विधायकों पर भारी पड़ी. महंत ने नए विधायकों को भी बोलने का खूब मौका दिया. रामकुमार यादव ने तो ईंट का जवाब पत्थर से दिया.
कई मुददों पर असहाय नजर आई सरकार
महंत के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने कानून व्यवस्था के मुददे पर सरकार से सवाल जवाब किया और यह साबित कर दिया कि फिलहाल सबसे बुरी स्थिति खुद गृह मंत्री के जिले की है. नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत के नेतृत्व में कांग्रेस ने धान खरीदी को लेकर स्थगन की सूचना दी और बहिर्गमन करते हुए किसानों की सहानुभूति हासिल की.
प्रदेश भर के पावर प्लांट से निकलने वाले राखड़ का मुद्दा भी महंतजी ने उठाया. कांग्रेस विधायक शेषराज हरवंश ने वन मंत्री को घेरा, विधायक संगीता सिन्हा ने कृषि मंत्री से दलहन और तिलहन के समर्थन मूल्य और उसके भण्डारण से जुड़ी सुविधाओं पर सवाल किया. कांग्रेस विधायक राजकुमार टोप्पो ने पूछा कि सरगुजा संभाग में मांझी समुदाय के जाति प्रमाणपत्र में मात्रा त्रुटि के कारण समस्या आ रही है, उसे दूर करने की आवश्यकता है. सरकार ने इस दिशा में क्या कदम उठाये हैं? कुल मिलाकर बजट सत्र में कांग्रेस दल के प्रदर्शन से जहां विधायकों में आत्मविश्वास जगा है, वहीं पार्टी भी उर्जावान हुई है. जनता के बीच भी कांग्रेस के प्रदर्शन की तारीफ हो रही है. कुल मिलाकर टीम—महंत तैयार हो गई है. देखना होगा कि यह लोकसभा चुनाव में कितना काम आती है!