महाराजा और राजासाहब के नाम से मशहूर ये दो दिग्गजों की साख लगी दांव पर,दोनों नेता मध्यप्रदेश के साथ साथ अपने अपने इलाके में बहा रहे पसीना…
The reputation of these two stalwarts, known as Maharaja and Rajasaheb, is at stake, both the leaders are working hard in their respective areas along with Madhya Pradesh…
ये हैं गुना लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह…जिनका प्रदेश में सियासी रुतबा पुराना है लेकिन नए समीकरणों के साथ अपने अपने क्षेत्रों में उनकी राह आसान रहेगी या मुश्किल.
गुना सिंधिया परिवार का गढ़, 1957 से सीट पर सिंधिया परिवार का कब्ज़ा, राजमाता विजयराजे और माधवराव जीते चुनाव, ज्योतिरादित्य गुना से 3 बार सांसद बने, 2019 में ज्योतिरादित्य को मिली पराजय, बीजेपी के केपी यादव ने चुनाव हराया, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल ज्योतिरादित्य।
जब कांग्रेस की टिकट पर लड़े ज्योतिरादित्य को के पी यादव ने हराया था तो उन्हें बीजेपी में नायक जैसा सम्मान मिला लेकिन इस बार उनका टिकट कट गया. इस बार कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह से ज्योतिरादित्य का मुकाबला है..पिछली बार यादव वोट बैंक रूठा था..इसलिए सिंधिया चुनाव हार गए थे ।
इसे देखते हुए उसके समर्थन में मुख्यमंत्री मोहन यादव भी रोड शो और सभाएं कर रहे हैं…अमित शाह भी गुना वालों से सिंधिया के लिए वोट मांगते वक्त यादव वोट बैंक को संभालने की कोशिश करते दिखे
एक दौर था जब दिग्विजय सिंह की मध्यप्रदेश की सियासत में तूती बोलती थी..पिछली बार भोपाल से चुनाव हारे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस बार राजगढ़ से चुनाव मैदान मे हैं।
चुनावी मौसम में दिग्विजय सिंह मंदिर के दर्शन करते और साधुओं से आशीर्वाद लेते नजर आए. राजगढ़ में राजासाहब के नाम से मशहूर दिग्विजय सिंह.
राजगढ़ में कितने मजबूत दिग्विजय, 30 साल बाद राजगढ़ लौटे हैं, राजगढ़ से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं दिग्विजय, 1984 और 1991 में जीत 1989 में हार मिली, दिग्विजय सिंह इलाके में मेहनत कर रहे हैं लेकिन राजगढ़ संसदीय क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और सिर्फ दो पर कांग्रेस का कब्जा है..ये आंकड़े दिग्विजय के समर्थन में नहीं दिखते।
फिलहाल राजा और महाराजा दोनो के लिए लड़ाई आसान नहीं है…दोनों नेता पसीना बहा रहे हैं.