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भ्रष्टाचार का नक्सलवाद : कागज में बन गए 14 लाख के पांच तालाब, पंचों को वेतन के लाले पड़े, करोड़ों के तालाब को बना दिया केवल मेड़

जगदलपुर. बस्तर को नक्सलमुक्त करने की कवायद पर भ्रष्टाचार भारी पड़ता नजर आ रहा है. एक ओर प्रदेश की सरकार के मंत्री नक्सलवाद को गंभीरता से लेते हुए विकास के रास्ते शांति लाने की दिशा में आगे बढ़ रहे है, तो दूसरी ओर प्रशासनिक नुमाईंदे करोड़ों रुपए की बंदरबांट कर गरीबों के हिस्सों को अपनी जेब में डाल रहे हैं.

नक्सलवाद का भय दिखाकर अंदरूनी इलाकों में जमकर भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा हैं. दक्षिण बस्तर में दो प्रकार के क्षेत्र हैं एक सामान्य क्षेत्र और दूसरा अघोषित रूप से नक्सल प्रभावी क्षेत्र.इन अघोषित नक्सल प्रभावी क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का दखल शून्य है, जिसका फायदा उठाकर उन क्षेत्रों के कर्मचारी व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार करते हैं। वहीं इस भ्रष्टाचार को शह देने में बकायदा प्रशासनिक अधिकारी की संलिप्तता भी अब सुर्खियों में है.

करोड़ों के तालाब को बना दिया केवल मेड़
सुकमा जिले के कोटा ब्लॉक के गुमोड़ी पंचायत एवं उसके आश्रित गांव दुरमा, बड़े हिरमा, पोरों काकारी और पोरों गुमोड़ी में विगत 2018-19 से 2023 तक 20-20 लाख के पांच और 14-14 लाख के पांच तालाब स्वीकृत हुए थे. जिसमे पंचायत सचिव ने केवल मेड़ बनवाकर ही राशि डकार लिया. कुछ तालाब तो केवल कागजों में ही बनवा डाला। करोड़ रुपए से स्वीकृत किसी भी तालाब में पानी नहीं है. खेत के बीचो बीच केवल एक मेड़ बनाकर पूरी राशि का आहरण कर लिया गया है.

हमारे पास मौजूद सूची के संख्या से कम तालाब गांव में पाए गए. गांव में किसी भी पंच को वेतन नहीं मिलता और सरपंच का वेतन भी आधा काटकर देता है. सचिव 2023 के बाद आज तक गांव नहीं आया. मूलभूत, चौदहवें वित्त पन्द्रहवें वित्त की राशि के बारे में सरपंच को कुछ भी बताया नहीं जाता. कुल मिलाकर गांव का हाल बेहाल है. सरकार इन क्षेत्रों के विकास के लिए राशि तो आवंटित करती है, पर यह राशि जाती कही और है.

गुमोड़ी मामले को लेकर मुख्य जांच अधिकारी भरतसाय भगत ने कहा कि इस मामले की जांच हेतु तीन सदस्य दल गठित किया गया था. जिसमें स्वयं के साथ-साथ जिपं के लेखाधिकारी प्रशांत प्रधान व सहायक परियोजना अधिकारी बलवंत सिंह मार्को शामिल थे. जांच हेतु सभी को एक साथ जाने के निर्देश थे. परंतु वे कैसे अकेले चले गये इसकी जानकारी नहीं है.

पहले हुईं शिकायत, फिर कहा- मेरे लेटर पैड का हुआ गलत इस्तेमाल
सुकमा जिले के जगरगुण्डा क्षेत्र की जिपं सदस्या आदम्मा मरकाम ने ही कोन्टा ब्लॉक के गुमोड़ी पंचायत में करोड़ों के बंदरबांट की शिकायत की थी. उन्होंने जिपं सीईओ को लिखित में शिकायत कर कहा था कि उक्त ग्राम में सन् 2018 से 2024 तक स्वीकृत निस्तारी तालाबों में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी जांच टीम गठित कर मौका मुआयना किया जाए. इसके अलावा सन् 2018 से 2024 तक मुलभूत की राशि से सिर्फ कागजों में ही खर्च हुआ है. इसके अलावा उक्त ग्राम में शासन की अन्य योजनाएं भी सिर्फ कागजों में ही सीमित है. वहीं 20 मई को शिकायत देने के उपरांत 22 मई को जिपं सदस्य ने पत्र लिखकर प्रशासन से क्षमा मांगते हुए शिकायत को निरस्त करने की बात कही और कहा मेरा लेटर पैड का गलत इस्तमाल किया जा रहा हैं.

भ्रष्टाचार पर जांच करने अकेले ही निकले अफसर
जिपं सीईओ द्वारा बिना किसी विलंब के ग्राम गुमोड़ी हेतु तीन सदस्य जांच दल गठित कर मौके पर जाकर जांच करने के निर्देश जारी कर दिया. वहीं उक्त तीन सदस्य जांच दल में से एक सहायक परियोजना अधिकारी बलवंत सिंह मार्को अकेले ही घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र की ओर निकल पड़े. सबसे अहम बात यह है कि जब जांच दल में 3 सदस्य नियुक्त किये गये है, तो अकेले मार्को गुमोड़ी कैसे पहुंच गये. वही सूत्रों के अनुसार माकों अपने साथ किसी भी तरह के शासकीय दस्तावेज भी नहीं ले गये थे. बताया तो यह भी जाता है कि उक्त दिवस में ग्राम के सचिव को भी अपने साथ ले जाने की खबर है. वैसे मार्को के अकेले जाने को लेकर अब तरह तरह के सवाल खड़े हो रहे है. लेकिन बताया ये भी जा रहा की उक्त सचिव के साथ अफ़सर पड़ोसी राज्य घूमने भी चल दिया.

ईमानदारी से जांच हो- मड़कम भीमा
गुमोड़ी में हुए भ्रष्टाचार के मामले को लेकर भाजपा नेता भीमा मड़कम ने कहा कि किसी भी योजना का क्रियान्वयन पूरी निष्ठा के साथ होना चाहिए. सरकार के द्वारा अंदरूनी क्षेत्रों के विकास में किसी भी प्रकार की कोताही ठीक नहीं है. इस पूरे मामले की जांच ईमानदारीपूर्वक की जानी चाहिए.

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