ब्रेकिंग : कांग्रेस नेता प्रमोद दुबे ने बचाई पार्टी की लाज, डोंगरगढ़ नगर पालिका में भाजपा का अविश्वास प्रस्ताव ध्वस्त, जानिए पूरी रिपोर्ट

बिगुल
डोंगरगढ़. कांग्रेस नेता और रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने आज एक बार फिर कांग्रेस की लाज बचा ली. डोंगरगढ़ नगर पालिका में भाजपा द्वारा लाया गया अविश्वासप्रस्ताव ध्वस्त हो गया नतीजन कांग्रेस की सरकार जाते जाते बच गई.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर पालिका की सरकार बचाने के लिए पार्टी ने पर्यवेक्षक प्रमोद दुबे एवं पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा को डोंगरगढ़ भेजा था जहां दोनों नेताओं ने जाकर मोर्चा संभाला. बेहतर रणनीति और वार्ता के जरिए उन्होंने पार्टी को विश्वास मत जितवा दिया.
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी और् कांग्रेस पार्टी के बीच कसमस की स्थिति पिछले 4 माह से चल रही थी। दोनों पार्टी नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर हाईकोर्ट पहुंच अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कर विवाद बनाए रखें थे। लेकिन शुक्रवार को प्रशासन ने यह विवादित स्थिति को देख अविश्वास प्रस्ताव के अन्दर चुनाव करा कर पूरी स्थिति को क्लियर कर दिया। जिसमें एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी को अपनी मू की खानी पड़ी। पहले के जैसा ही इस अध्यक्ष सीट पर कांग्रेस का कब्जा बना रहा।
बता दें कि नगर पालिका परिषद डोंगरगढ़ में भाजपा के 14 पार्षद है तो वही कांग्रेस के पास 9 पार्षद है वही एक पार्षद की मृत्यु हो चुकी है। आज हुए मतदान में भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 15 तो प्रस्ताव के विपक्ष में 8 मत पड़े। राज्य में जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तब से ही भारतीय जनता पार्टी नगर पालिका अध्यक्ष पद को लेकर वर्तमान अध्यक्ष सुदेश मेश्राम के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगा कर विवाद की स्थिति बना रखें थे।
बीजेपी गुटबाज़ी के कारण हारी
अविश्वास प्रस्ताव लाकर भारतीय जनता पार्टी अपना अध्यक्ष नगर पालिका में बैठाने की तैयारी में थे, लेकिन इनको अपनी मू की खानी पड़ी जिसका सबसे बड़ा कारण है भारतीय जनता पार्टी का शहर में गुटबाज़ी विधानसभा चुनाव से लेकर आज तक भारतीय जनता पार्टी की गुटबाज़ी थमने का नाम नहीं ले रही हैं जिसका परिणाम आज फिर एक बार नगर पालिका अध्यक्ष पद में देखने को मिला हैं।
जानते चलें कि कांग्रेस नेता और रायपुर नगर निगम के सभापति प्रमोद दुबे चौथी बार यह कमाल दिखाया और पार्टी की लाज बचा ली. इसके पहले भी उन्हें कई नगर पालिकाओं में पार्टी ने पर्यवेक्षक बनाकर भेजा था.



