दोहरी नीति से परेशान एनएचएम के आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मियों की सुनवाई नहींं, सिंधिया से लगाई गुहार
बिगुल
एनएचएम संविदा आउट सोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी सरकार की दोहरी नीति से परेशान हो कर लगातार मंत्री, विधायकों के बंगलो का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है
रविवार को इन स्वास्थ्य कर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल ग्वालियर पहुंचकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिराज सिंधिया से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बताई। प्रतिनिधि मंडल में शामिल कोमल सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधीन विगत 15 से 20 वर्षों तक सेवाएं दे चुके हजारों संविदा सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को शासन प्रशासन की दोहरी नीति के कारण विभाग में कई वर्षों से नियमित समक्ष पद रिक्त है फिर भी समायोजन नहीं किया गया।
मानदेय में गड़बड़ी की सीबीआई जांच की मांग
कोमल सिंह ने बताया कि सिंधिया जी से मांग की गई है कि अधिकारियों की हर धार्मिकता एवं तानाशाही रवैया के कारण आउटसोर्स ठेका प्रथा में शामिल किए गए सपोर्ट स्टाफ कर्मचारियों को अनुभव के आधार पर बिना कोई शर्त के विभाग में समक्ष रिक्त पदों पर समायोजन किया जाए। साथ ही वित्तीय वर्ष 2019 से वित्तीय वर्ष 2024 तक आउटसोर्स कर्मचारियों के मानदेय में की जा रही गड़बड़ी के खुलासा के लिए सीबीआई जांच एजेंसी गठित कर जांच कराई संबंधित अधिकारियों एवं कंपनियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
एक जैसे कर्मचारियों को अलग-अलग तनख्वाह
वित्तीय वर्ष 2019 से एनएचएम से हटकर आउटसोर्स किए गए सपोर्ट स्टाफ एवं अन्य आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए विभाग द्वारा प्रचलित अर्ध कुशल श्रमिक दर 12796 बजट दिया जा रहा है लेकिन विभाग के अधिकारियों एवं आउटसोर्स कंपनियों की कमीशन खोरी की वजह से मात्र 5500 से लेकर 9000 तक दिए जा रहे है जिसकी वजह से आउटसोर्स कर्मचारी की मानदेय में करोड़ों रुपया का घपला किया जा रहा है। इसको लेकर एनएचएम संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के द्वारा, मुख्यमंत्री से मांग है की वित्तीय वर्ष 2019_2020 से वित्तीय वर्ष 2023, 2024 तक सभी जिलों में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं सिविल सर्जन सह अस्पताल अधीक्षक द्वारा आउटसोर्स कंपनियों से किन-किन शर्तों पर अनुबंध किया गया अर्ध कुशल श्रमिक दर या कुशल श्रमिक दर से आउटसोर्स कर्मचारियों को कितना वेतन दिया जा रहा है एवं आउटसोर्स एजेंसी को विभाग द्वारा कितने मानदेय से भुगतान किया जा रहा है।
विगत 5 वर्षों में सपोर्ट स्टाफ आउटसोर्स कर्मचारियों को कितना कम वेतन दिया गया जिसकी सीबीआई जांच एजेंसी के द्वारा जांच कराई जाए। जांच उपरांत दोषियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाए। जिससे भविष्य में इस तरह के प्रकरणों की पुनरावृाव्ति ना हो सके एवं सपोर्ट स्टाफ एवं आउटसोर्स कर्मचारी की भविष्य को देखते हुए विभाग में समक्ष रिक्त पदों पर नियमित किया जाए अथवा पुनः राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में मर्ज किया जाए। शासन प्रशासन की दोरी नीति के वजह से 20-20 वर्षों से स्वास्थ्य सेवाएं दे रही लेकिन शासन प्रशासन की दूरी नीति के वजह से कोई भी अवकाश नहीं दिया जा रहा है जैसे महिला कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश अन्य कोई भी अवकाश नही दिया जा रहा है जिससे आए दिन मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रही हैं।