टीएमसी और कर्नाटक की कांग्रेस सरकार द्वारा मुसलमानों को OBC कोटे में शामिल करने का मुद्दा लोकसभा चुनावों के आखिरी चरण की वोटिंग से पहले भी सुर्खियों में है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत से ही इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाया. बीजेपी के नेता एकसुर में विपक्ष पर हिंदुओं से आरक्षण और अन्य लाभ छीनकर मुसलमानों को देने का आरोप लगा रहे हैं.
मुस्लिम आरक्षण को लेकर इस वक्त घमासान इसलिए तेज हुआ क्योंकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में 2010 के बाद की OBC सूची को रद्द कर दिया था. इस सूची में मुस्लिमों की जातियां थी. अब यूपी के सीएम योगी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए ममता सरकार पर निशाना साधा है. योगी ने कहा, ‘भारत का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है. TMC की सरकार ने तुष्टिकरण के तहत मुस्लिम जातियों को आरक्षण दिया था.
वहीं SP नेता एस टी हसन ने कहा, ‘जब उनकी सरकार आएगी तो संविधान में संसोधन करके मुस्लिमों को आरक्षण दिया जाएगा.
अधिकांश मामलों की तरह यहां भी आरक्षण को चुनौती दी गई थी. तब हाई कोर्ट ने इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बहुत अधिक भरोसा किया.
दरअसल 1992 में नौ जजों की बेंच ने कहा था कि केवल धर्म के आधार पर OBC की पहचान कर उन्हें आरक्षण नहीं दिया जा सकता.
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
कोलकाता हाई कोर्ट ने अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए ‘धर्म’ ही एकमात्र मापदंड रहा है. वहीं आयोग ने जो रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, वो केवल ऐसी धर्म विशिष्ट सिफारिशों पर पर्दा डालने और छिपाने के लिए थी.
हालांकि आयोग ने माना कि सरकार ने ओबीसी आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण बनाने से पहले उससे परामर्श नहीं किया. लेकिन उन्होंने तर्क दिया कि ऐसी कार्रवाई उसके दायरे से बाहर थी. अदालत ने ये भी कहा कि राज्य सरकार को भविष्य में उप-वर्गीकरण सहित निष्पक्ष वर्गीकरण करने के लिए आयोग से उचित परामर्श करना चाहिए.