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योग्यता नहीं होने के बाद भी बना दिया जूनियर इंजीनियर, हाईकोर्ट ने कैट का आदेश किया निरस्त

बिगुल
रायपुर. हाईकोर्ट ने एम्स की याचिका स्वीकार करते हुए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) द्वारा पारित निर्णय को निरस्त कर दिया है. कैट के निर्णय अनुसार में निर्धारित योग्यता नहीं होने के बाद भी प्रतिवादी की जूनियर इंजीनियर के पद पर नियुक्ति कर दी गई थी. संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत इस न्यायालय के रिट क्षेत्राधिकार का उपयोग करते हुए, याचिकाकर्ता एम्स ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण द्वारा 19 अक्टूबर 2023 को पारित निर्णय और आदेश की वैधता पर सवाल उठाते हुए रिट याचिका दायर की थी.

याचिका में बताया गया था कि न्यायाधिकरण ने प्रतिवादी द्वारा दायर मूल आवेदन को अनुमति दे दी थी. इसमें आवेदक व प्रतिवादी शेखर साहू को एम्स, रायपुर में जूनियर इंजीनियर (एसी एंड आर) के पद पर नियुक्त करने का निर्देश दिया गया था. यह पाया गया कि प्रतिवादी के पास जूनियर इंजीनियर (एसी एंड आर) के पद के लिए आवश्यक योग्यता है. इसे एम्स ने हाईकोर्ट में चुनौती दी.

हाईकोर्ट ने आदेश निरस्त किया
डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान ईएमएस की ओर से तर्क दिया गया कि जूनियर इंजीनियर (एसी एंड आर) पद के लिए आवश्यक योग्यता मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 3 साल का डिप्लोमा और किसी मान्यता प्राप्त पॉलिटेक्निक संस्थान से रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग में कोर्स है. प्रतिवादी सहित दस उम्मीदवारों को दस्तावेज़ सत्यापन के लिए बुलाया गया लेकिन दस्तावेज़ में सत्यापन में प्रतिवादी के पास कोई प्रमाण पत्र नहीं पाया गया.

मामले के तथ्यों पर गौर करें तो यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी के पास 25-1-2014 के विज्ञापन के अनुसार आवश्यक योग्यता नहीं थी, क्योंकि उसके पास मान्यता प्राप्त संस्थान से रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग में अतिरिक्त पाठ्यक्रम नहीं था. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने एम्स की याचिका मंजूर कर कैट का आदेश निरस्त कर दिया.

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