उत्तरप्रदेश

कांग्रेस नेता अजय कुमार ने CM योगी को लिखा पत्र, बिहार के बाद UP में उठने लगी जातीय जनगणना की मांग

बिगुल

उत्तर प्रदेश :- बिहार सरकार ने जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए हैं, तब से सियासी गलियारों में मानों भूचाल सा आ गया है. बिहार के बाद अब यूपी में भी जाति आधारित जनगणना कराने की मांग उठने लगी है. इसके लिए कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट कर इस बात की जानकारी दी. अजय कुमार लल्लू ने एक्स पर लिखा कि उत्तर प्रदेश में जातीय जनगणना करायें जाने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है.

जातीय जनगणना को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए. जिससे ये पता लगाना है कि लोगों की पहुंच का स्तर क्या है? यह न केवल सामाजिक विज्ञानियों के लिये बल्कि सरकार के नीति-निर्माताओं के लिये भी बेहद महत्त्वपूर्ण है. कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने सीएम को लिखा कि ये सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश में देश की सबसे बड़ी आबादी निवास करती है. जहां उत्तर प्रदेश की आबादी लगभग 23 करोड़ है. अभी पिछले ही दिन 13 करोड़ आबादी वाले देश के एक राज्य बिहार ने जातीय गणना कराकर उसके आंकड़े सार्वजनिक किए हैं.

उन्होंने लिखा कि देश हजारों जाति, उपजाति में बंटा हुआ है और जाति एक ऐसी सच्चाई है जिसे झुठलाना और उसे खारिज करना हमारे विविधता से भरी विरासत को चुनौती देना है. ये कटु सत्य है कि जाति के आधार पर सालों से लोगों का शोषण होता रहा है और दुःखद है कि आज भी यह शोषण समाज में व्याप्त है. उन्होंने आगे लिखा कि सर्वप्रथम जाति आधारित गणना 1931 में ब्रिटिश शासन ने कराई, तब देश की आबादी लगभग 20 करोड़ थी. लगभग 80 साल बाद आजाद भारत में कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार ने जातीय आधारित जनगणना कराई, लेकिन दुर्भाग्य से उनके आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया. जातीय जनगणना राज्य सरकार के लिए ठोस पैमाना होगा. जिससे राज्य की योजनाएं किन जाति समूहों के दरवाजे तक पहुंच रही हैं? किन जाति समूहों को इनकी जरूरत हैं? किन्हें मिलनी चाहिए? इन सारे क्रांतिकारी बदलाव, सटीक आंकड़ों के बगैर संभव नहीं है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत के विविधता वाले समाज में जाति आधारित जनगणना एक प्रशासनिक आवश्यकता भी है. जब तक जातियों का आंकड़ा सामने नहीं आएगा तब तक कैसे तय होगा कि प्रदेश की प्रगति में किसकी कितनी भागीदारी होनी चाहिए? अतीत में किसी संसाधन का उपयोग कैसे किया गया है? सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों में किसको कितनी भागीदारी मिले? बिहार सरकार ने जाति जनगणना कराकर पूरे देश को एक रास्ता दिखाया है. सीएम से जातिगत जनगणना की मांग करते हुए उन्होंने लिखा कि यह इतिहास में दर्ज होने का वक्त है. पिछड़ा-वंचित वर्ग के साथ न्याय करने का दौर है. मेरा आपसे अनुरोध है कि उत्तर प्रदेश में भी जातिगत जनगणना कराई जाए जिससे वंचित समाज के लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए न्यायपूर्ण योजनाएं बनाई जा सकेंगी. बता दें कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने जातीय जनगणना की मांग तेज की है. समाजवादी पार्टी जातीय जनगणना के मुद्दे को लेकर जगह-जगह पिछड़े समाज के लोगों के साथ बैठक कर रही है.

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