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प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कह दी बड़ी बात, इजरायल हुआ भारत से नाराज

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दिल्ली :- इजरायल और हमास के बीच युद्ध को लेकर हाल ही में संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव लाया गया था जिसमें इजरायल और हमास के बीच शत्रुता को समाप्त कर तत्काल संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था. भारत ने इस प्रस्ताव से दूरी बना ली थी जिसके बाद अब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत के रुख पर टिप्पणी की है.

सोमवार को उन्होंने कहा है कि कोई भी सभ्य देश जिसमें भारत भी शामिल है, इस तरह की बर्बरता को बर्दाश्त नहीं करेगा. इजरायली प्रधानमंत्री ने 27 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र में लाए गए प्रस्ताव को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताया है.प्रस्ताव पर भारत जैसे मित्र देशों के रुख की आलोचना करते हुए नेतन्याहू ने कहा, ‘मुझे लगता है कि उस प्रस्ताव में बहुत ज्यादा खामियां थीं, और मुझे यह देखकर दुख हुआ कि हमारे कई मित्र भी इस बात पर जोर नहीं दे रहे हैं कि इजरायल में जो कुछ भी हुआ, उसकी कड़ी निंदा होनी चाहिए थी. यह ऐसा था कि जिसे भारत जैसा कोई भी सभ्य देश बर्दाश्त नहीं कर सकता… इसलिए मुझे उम्मीद है कि इस तरह के प्रस्ताव दोबारा नहीं लाए जाएंगे.’

नेतन्याहू ने आगे कहा, ‘जिस तरह अमेरिका पर्ल हार्बर पर बमबारी के बाद या 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद युद्धविराम के लिए सहमत नहीं होगा, उसी तरह इजरायल भी हमास के साथ दुश्मनी खत्म करने के लिए सहमत नहीं होगा. इजरायल दुश्मनी खत्म करने के लिए कभी सहमत नहीं होगा…’ युद्धविराम पर सख्त जताते हुए इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा, ‘युद्धविराम का आह्वान इजरायल के लिए हमास के सामने आत्मसमर्पण करने, आतंकवाद के सामने आत्मसमर्पण करने, बर्बरता के सामने आत्मसमर्पण करने का आह्वान है. और यह कभी नहीं होगा. बाइबल में लिखा है कि एक शांति का समय होता है और एक युद्ध का भी समय है. यह युद्ध का समय है.’

इजरायल-हमास युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किए गए प्रस्ताव में फिलिस्तीनी संगठन ‘हमास’ और ‘बंधक’ शब्द का जिक्र नहीं था. प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े और 14 देशों ने इसके विरोध में मतदान किया. भारत ने इससे दूरी बना ली थी. इस मतदान से पहले, कनाडा का कहना था कि प्रस्ताव के शब्दों में एक संशोधन हो और हमास का जिक्र किया जाए. लेकिन कनाडा के संशोधन का यह प्रस्ताव गिर गया क्योंकि इसे आवश्यक दो तिहाई सदस्यों का समर्थन नहीं मिला.

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