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बड़ा मुददा : बस्तर को चाहिए हाईकोर्ट की खण्डपीठ, विधानसभा चुनाव में बस्तर की जनता की मांग, दंतेवाड़ा से 700 किलोमीटर पड़ता है बिलासपुर हाईकोर्ट

डॉ. अनिल द्विवेदी

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस अपना अपना घोषणा-पत्र तैयार कर रही हैं तब उन्हें ऐसे मुददों की तलाश है जिससे छत्तीसगढ़ और उसके आम आदमी का हित जुड़ा हो. ऐसे में दोनों ही राजनीतिक दल घूम घूमकर संगठनों और व्यक्तियों से मुलाकात कर रहे हैं तथा मुददों की तलाश कर रहे हैं ताकि उन्हें घोषणा—पत्र में शामिल किया जा सके.

ऐसे में दैनिक प्रखर समाचार ने हाईकोर्ट की खण्डपीठ का मुददा सामने रखा है. बीजेपी घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष विजय बघेल ने रायपुर में पत्रकारों और संपादकों के साथ चर्चा की तो स्थानीय संपादक डॉ. अनिल द्विवेदी ने सुझाव दिया कि सरगुजा या बस्तर संभाग में भाजपा को हाईकोर्ट की एक खण्डपीठ देने का वादा करना चाहिए. इसकी बहुत ही जरूरत है.

पहले देखते हैं कि हाईकोर्ट की खण्डपीठ बस्तर में ज्यादा जरूरी क्यों है. फिलहाल हाईकोर्ट बिलासपुर में स्थित है. ऐसे में अगर दंतेवाडा से कोई न्याय लेने के लिए बिलासपुर आता है तो कम से कम 700 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. ऐसे में आम आदमी के श्रम, धन, समय का बेहद ही खर्च होता है. वैसे भी राज्य में एक भी खण्डपीठ नही है, फिर बस्तर में इसकी मांग भी उठती रही है इसलिए हाईकोर्ट की एक खण्डपीठ की स्थापना बस्तर में होना चाहिए. इसकी मांग सालों से उठती रही है लेकिन किसी भी राजनीतिक दल ने इसे लाना जरूरी नही समझा.

वैसे विकल्प के तौर पर सरगुजा संभाग में भी हाईकोर्ट की खण्डपीठ दी जा सकती है. वहां से बिलासपुर आने में 300 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है इसलिए खण्डपीठ के लिए सरगुजा भी उपयुक्त संभाग होगा. दूसरी ओर भाजपा ने इस सुझाव पर गभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है. जबकि कांग्रेस के कानों में भी इसकी गूंज पहुंच गई है. पार्टी इस मुददे को लेकर गंभीर है.

हालांकि हाईकोर्ट की खण्डपीठ खोलने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है लेकिन भाजपा नीत केन्द्र सरकार पहल तो कर ही सकती है. पड़ोसी मध्य प्रदेश में भी हाईकोर्ट की खण्डपीठ इंदौर में है ही. फिर सवाल आदिवासियों की तकलीफ से जुड़ा है. उन्हें न्याय पाने के लिए 800 किलोमीटर चलकर क्यों पड़ता है.

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